हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में मनाई जाने वाली होली की चर्चा सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में होती है। यहां रंग पंचमी के दिन निकाली जाने वाली गेर दुनियाभर में पहचान बना चुकी है। इंदौर की गेर 30 मार्च को निकलने वाली है। जिसे लेकर प्रशासन ने बड़ी बैठक का आयोजन किया। प्रशासन का अनुमान है कि इस बार गेर में लाखों लोग शामिल होंगे। इसके चलते हर स्तर पर तैयारियां भी की जा रही है।

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 प्रशासन ने सख्त चेतावनी दी

प्रशासन ने सख्त चेतावनी भी दी है कि कोई भी बदमाश अगर हथियार लेकर गेर में शामिल हुआ तो उस पर रासुका की कार्रवाई की जाएगी। वहीं गेर में सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवथाओं को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस के अलावा स्वास्थ्य एमपीईबी सहित अन्य विभागों के अधिकारी बैठक में मौजूद रहे। जहां कलेक्टर आशीष सिंह ने राजबाड़ा, गोपाल मंदिर सहित अन्य प्रमुख भवनों के सौंदर्यीकरण को बचाने के लिए कवर करने के आदेश दिए। साथ ही खतरनाक भवनों को चिन्हित कर उन पर सूचना लगाए जाने के निर्देश दिए।

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क्या है इंदौर की गेर

माना जाता है कि इंदौर में गेर की परंपरा तीन सौ साल पुरानी है। होलकर राजघराने के लोग रंगपंचमी के दिन बैलगाडिय़ों से फूल और गुलाल आम नागरिकों पर डालते थे। इससे सामाजिक सौहाद्र्र बढ़ा और धीरे धीरे गेर ने पूरी तरह से सामाजिक रंग ले लिया। लगभग सौ साल पहले इसे सामाजिक रूप से सार्वजनिक जगहों पर मनाने की शुरुआत हुई। इस कड़ी में कई आयोजन जुड़ते गए। मल्हारगंज क्षेत्र में कुछ लोग खड़े हनुमान के मंदिर में फगुआ गाते थे और एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते थे। वहीं इसी क्षेत्र में रहने वाले रंगू पहलवान एक बड़े से लोटे में केसरिया रंग घोलकर आने-जाने वालों पर रंग डालते थे। इन सब आयोजनों ने गेर को समय के साथ भव्य रूप दिया। 

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