कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश की जबलपुर जिला न्यायालय में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डीपी सूत्रकार ने जेल में अनावश्यक रूप से बंद कैदियों को लेकर एक पत्र लिखा है। जिला जज डीपी सूत्रकर ने यह पत्र महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं जेल मुख्यालय, भोपाल को लिखा है। जिसमें जेल अधीक्षकों को ये संज्ञान में लाने की बात कही गई है कि मात्र प्रोडक्शन वारंट के आधार पर किसी को जेल में कैद नहीं रखा जा सकता। 

पत्र के माध्यम से ध्यान दिलाने की कोशिश की गई है कि ज्यादातर यह देखने में आता है कि मात्र प्रोडक्शन वारंट के आधार पर कई अभियुक्तगण को अन्य मामलों में जमानत मिलने या दोष मुक्त होने के बावजूद साधारण धारा या मजिस्ट्रेट ट्रायल मामले में प्रोडक्शन वारंट के कारण जेल में बंद रखा जाता है। जबकि प्रोडक्शन वारंट मात्र उसकी उपस्थिति के लिए होता है। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट डीपी सूत्रकार अपने पत्र में आगे लिखते हैं कि साधारण धारा या मजिस्ट्रेट ट्रायल मामलों में मात्र प्रोडक्शन वारंट के कारण कैदियों को जेल में रखा जाता है। जबकि प्रोडक्शन वारंट मात्र उपस्थिति के लिए रहता है। प्रोडक्शन वारंट किसी को जेल अभिरक्षा में रखने का अधिकार नहीं देता। 

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट डीपी सूत्रकार ने अपने पत्र के माध्यम से लिखा है कि प्रोडक्शन वारंट और जेल वारंट में अंतर होता है। केवल जेल वारंट जारी होने पर ही कैदियों को जेल अभिरक्षा में रखा जा सकता है, जिस ओर जेल अधीक्षक का ध्यान आकर्षित कराया जाना बेहद जरूरी है। जिससे अनावश्यक रूप से कैदी जेल में बंद न रहे और न ही जेल का भार बढ़े। साधारण धाराओं और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी अथवा मजिस्ट्रेट ट्रायल के प्रकरण में भी मात्र प्रोडक्शन वारंट के आधार पर कैदियों को रोक लिया जाता है, जो सही नहीं है। इस कारण डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने सभी जेल अधीक्षक को उक्त संबंध में पत्र जारी कर ध्यान आकर्षित कराए जाने के लिए निर्देश जारी करने को कहा है।

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