इमरान खान, खंडवा। किशोर कुमार बॉलीवुड का वह सितारा है जिनके गीतों पर पूरी दुनिया नाचती थी। आज भलेगी वो हमारे बीच नही है, लेकिन हमारे दिलों में आज भी जिंदा है। 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के छोटे से शहर खंडवा में एक बंगाली परिवार में जन्मे किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था। लेकिन इस बात का किसी को आभास नहीं था कि एक दिन यही आभास अपनी गायकी और अदाकारी के बल पर बॉलीवुड पर राज करेगा।

आज भारतीय फ़िल्म जगत के हरफनमौला कलाकार स्व किशोर कुमार की पुण्य तिथि है। हर साल 13 अक्टूबर को खंडवा में उनकी समाधि पर हजारों की संख्या में उनके प्रशसंक माथा टेकने पहुंचे है। किशोर कुमार की अंतिम इच्छा के मुताबिक उनका पार्थिव शरीर मुम्बई से खंडवा लाया गया और खंडवा की जन्म भूमि पर उनका अंतिम संसकार किया गया। उनके चाहने वालों ने उसी जगह उनकी समाधि बना दी जो आज तक पूजी जा रही है। वहीं बाद में सरकार ने यहां एक भव्य स्मारक बनवा दिया जो एक दर्शनीय स्थल के रूप में जाना जाता है।

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किशोर कुमार की जीवनशैली
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 खंडवा में हुआ और 13 अक्टूबर 1987 को वह इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके पिता शहर के बड़े प्रतिष्टित वकील थे। अशोक कुमार और अनूप कुमार के बाद किशोर सबसे छोटे थे। किशोर की स्कूली शिक्षा खंडवा में ही पूरी हुई इसके बाद उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर भेज दिया गया। उनके स्कूल के मित्र बताते थे कि वह शुरू से ही बड़े चुलबुले थे। स्कूल में डेस्क बजाना और उसपर खड़े होकर नाचना उनका सगल रहा था। पढाई में कमजोर किशोर कुमार टीचरो की नक़ल उतरने में भी माहिर थे। उनके दोस्त तो अब नहीं रहे लेकिन आज की युवा पीढ़ी में भी उनके प्रशसंकों की कमी नहीं है। आज किशोर कुमार की पुण्यतिथि पर किशोर प्रेमी उन्हें गीतों के माध्यम से श्रद्धांजलि दे रहा है।

आज भी तलाशता है उन्हें पुश्तैनी मकान
किशोर कुमार का पुश्तैनी मकान आज जर्जर हालत में है। घर के अंदर रखा सामान मानों आज भी उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। उनके प्रशसंक आज भी इस मकान में किशोर कुमार को तलाशते है। पिछले 40 सालों से यह मकान एक चौकीदार के जिम्मे है। उनके प्रशंसक इस मकान को एक स्मारक के रूप में देखना चाहते हैं।

16 हजार फ़िल्मी में दी अपनी आवाज
किशोर कुमार ने 16 हजार फ़िल्मी गाने गाए और 8 बार फ़िल्म फेयर अवार्ड मिला। वह मुम्बई गए थे हास्य कलाकार बनने लकिन बन गए गायक। जिद्दी फ़िल्म से उन्होंने गाना गाने का सफ़र शुरू किया था। म.प्र. सरकार उनकी पूण्य तिथि 13 अक्टूबर को फ़िल्म उधोग से जुड़े ख्यातिनाम व्यक्ति को राष्ट्रीय किशोर सम्मान देती है।

किशोर दा को खंडवा से बड़ा लगाव था। वह जब भी खंडवा आते थे अपने दोस्तों के साथ शहर की गलियों चौपालों पर गप्पे लड़ाना नहीं भूलते थे। उन्हें जलेबी खाने का बड़ा शोक था। वह अक्सर अपने मुंबई वाले दोस्तों से कहते थे दूध जलेबी खाएंगे खंडवा में ही बस जाएंगे।

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