अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश में यूं तो स्वास्थ्य सुविधा के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन जब इलाज के अभाव में किसी गरीब की मौत हो जाती है तो ऐसी घटनाएं सिस्टम पर सवाल खड़े करने लगती हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है मऊगंज से जहां प्रशासन की बेरुखी और डॉक्टर के रवैये की वजह से एक बुजुर्ग की जान चली गई।
महाकाल के दर्शन करने जा रहे श्रद्धालुओं की बस पलटी, गाय को बचाने के दौरान हुआ हादसा, 16 घायल
दरअसल, मामला हनुमना जनपद पंचायत के बघैला का है जहां 60 वर्षीय अशोक सिंह बीमार थे। अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए परिजनों ने एंबुलेंस को कॉल किया लेकिन कोई मदद नहीं मिली। सुबह 9 बजकर 10 मिनट से उन्होंने एंबुलेंस को बुलाने की कोशिश की लेकिन 11 बजे ड्राइवर ने यह कह दिया कि दो घंटे और लगेंगे।
जिसके बाद गांववालों ने खटिया उठाई, तिरपाल में लपेटकर, कीचड़ भरी पगडंडियों से खींचते हुए बुजुर्ग को सड़क तक लाए। जहां तड़पते हुए बुजुर्ग को देखकर स्थानीय युवक मनीष मिश्रा अपनी गाड़ी में बुजुर्ग को मऊगंज अस्पताल ले गए। लेकिन वहां डॉक्टर ने यह कहकर इलाज करने से इनकार कर दिया कि ‘आप टीवी के मरीज हैं, आपका इलाज संबंधित ब्लॉक के अंतर्गत होगा … जहां आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मेडिसिन उपलब्ध कराएंगी। आप यहां से जाइए, यह कोई धर्मशाला नहीं है।” इतना बोलकर उन्हें अस्पताल से बाहर कर दिया गया। न एडमिट किया और न पर्ची पर रेफर लिखा गया।
परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर पंकज पांडे ने मरीज को देखना तक जरूरी नहीं समझा। बिना जांच किए ही भगा दिया। साथ ही रेफर पर्ची तक फाड़ने की धमकी दी।
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर प्रद्युमन शुक्ला ने भी लापरवाही की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “मरीज को भर्ती नहीं किया गया, रेफर भी नहीं किया गया।” इस मामले में उन्होंने जांच की बात कही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या जांच से मृत शरीर में जान आ जाएगी? जिम्मेदारों पर एक्शन कब होगा?
Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें