भोपाल। मध्यप्रदेश की प्रति व्यक्ति आय विगत तीन वर्षों में 1,03,654 रुपये से बढ़कर 1,40,583 हुई है। देश के प्रगतिशील राज्यों के साथ मध्यप्रदेश में आज की प्रचलित दरों के हिसाब से प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि निश्चित ही आर्थिक प्रगति का एक शुभ संकेत है। केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अद्यतन आंकड़ों में यह बात सामने आई है।शिवराज सरकार के प्रयासों से मध्य प्रदेश आर्थिक विकास पर बढ़ता हुआ प्रदेश बना है। राज्यसभा में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यों की आर्थिक गतिविधियों की रिपोर्ट पेश की। बीते 5 सालों में मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से मुक्त हुए है।

मध्यप्रदेश में ऋण अनुपात भी कम हुआ है। 2005 में 39.5% ऋण जीएसडीपी अनुपात था। 2021-22 में घटकर 22.6% हुआ।मध्य प्रदेश में सरकार की बैंकिंग व्यवसाय में भी बढ़ोतरी हुई है। प्राथमिक क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने ऋण का विस्तार किया है। मध्य प्रदेश के बैतूल, इंदौर, विदिशा ने 100% वित्तीय समावेश कर डिजिटल जिले का दर्जा हासिल किया। स्व सहायता समूह को 6178 करोड रुपए का विधि सहयोग प्रदान किया गया। मध्यप्रदेश देश में खाद्यान्न का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बना है।

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प्रति व्यक्ति शुद्ध आय प्रचलित एवं स्थिर (2011-12) भावों पर

मध्यप्रदेश के स्थिर भावों (वर्ष 2011-12) के आधार पर प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2021-22 (त्वरित) में 61,534 रुपये थी, जो बढ़कर वर्ष 2022-23 (अग्रिम) में रुपये 65,023 हो गई है, जो गतवर्ष की तुलना में 5.67 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। प्रचलित भावों के आधार पर राज्य की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2021-22 में 1,21,594 रुपये से बढ़कर वर्ष 2022-23 (अग्रिम) में 1,40,583 हो गई, जो 15.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।

पीएम नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत अभियान की दिशा में मध्यप्रदेश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लगातार अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देकर, निरंतर सभी वर्गों के विकास और आर्थिक प्रगति की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री चौहान लगातार इस दिशा में तेजी से कार्य कर रहे हैं कि राज्य की अर्थ-व्यवस्था के प्रमुख घटकों को कैसे बेहतर से बेहतर बनाया जाये। वर्ष 2022-23 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष 2021-22 (त्वरित) की तुलना में प्रचलित भावों पर 16.43 प्रतिशत तथा स्थिर भावों पर 7.06 प्रतिशत की वृद्धि रही है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में स्थिर भावों पर वर्ष 2022-23 अग्रिम के दौरान विगत वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 5.24 प्रतिशत, द्वितीयक एवं तृतीय क्षेत्र में क्रमशः 5.42 प्रतिशत एवं 9.99 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि रही है।

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5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था में म.प्र. के 550 बिलियन डॉलर योगदान का लक्ष्य

प्रधानमंत्री द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाने के संकल्प में मध्यप्रदेश द्वारा 550 बिलियन डॉलर का योगदान देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश इस लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। प्रदेश के बजट का आकार भी वर्ष 2001-02 की तुलना में पंद्रह गुना बढ़कर वर्ष 2023 में 2,47,715 करोड़ रुपये हो गया है। राज्य द्वारा लगातार राजकोषीय अनुशासन का निरंतर पालन करने से वर्ष 2005 का ऋण जीएसडीपी अनुपात जो वर्ष 2005 में 395 प्रतिशत था वह घटकर 22.6 प्रतिशत रह गया है, यानी कर्ज का भार कम हुआ है।

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इस उपलब्धि के यह रहे महत्वपूर्ण कारण

मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, प्रदेश में बेहतर वित्तीय प्रबंधन, वित्तीय समावेशन जैसे अर्थ-व्यवस्था के मूलभूत आधारों का परिणाम है। साथ ही प्रदेश में सरकारी बैकिंग व्यवसाय में निरंतर वृद्धि, प्राथमिकता क्षेत्र के समय पर समुचित ऋण, जन-धन खातों में आमजन की बढ़-चढ़कर भागीदारी और बचत, प्रदेश में जन-आंदोलन का स्वरूप ले चुके स्व-सहायता समूहों द्वारा ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था में सतत योगदान भी इसके प्रमुख कारकों में हैं। इसके अलावा कृषि प्रधान प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि, छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ औद्योगीकरण के चौतरफा प्रयासों से बढ़ते निवेश की भी प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बिजली क्षेत्र में सरप्लस स्टेट होना, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सड़कों के नेटवर्क का अभूतपूर्व विस्तार और स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा किये गये सुविचारित प्रयास भी प्रदेश की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे हैं।

रिपोर्ट में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के कारणों का भी किया उल्लेख

  • प्रबंधन सूचना प्रणाली (IFMIS) का भारतीय रिजर्व बैंक के कोर बैंकिंग सोल्यूशन’ “ई-कुबेर” के साथ एकीकरण को क्रियान्वित किया गया।
  • प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए राज्य के प्राथमिकता क्षेत्रों में ऋण का विस्तार किया गया..जिसका मान 9,437 करोड़ रुपये से बढ़कर रुपये 2,15,427 करोड़ रुपये हुआ है।
  • कृषि ऋण में 13.41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और एम. एस.एम.ई. में 30.22 की वृद्धि की गई।
  • राज्य में कृषि को कुल ऋण 32.2 प्रतिशत मिला जो 18 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
  • जन-धन खाते वित्तीय समावेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक कुल 3.85 करोड़ खाते खोले।
  • डिजिटल इंडिया- प्रदेश के तीन जिलों बैतूल, इंदौर और विदिशा ने 100 प्रतिशत वित्तीय समावेशन कर डिजिटल जिले का दर्जा हासिल किया।
  • स्व-सहायता समूह- प्रदेश में स्व-सहायता समूहों द्वारा भी अर्थव्यवस्था में योगदान दिया गया। इनमें महिलाओं की बड़ी संख्या कार्यरत है।
  • स्व सहायता समूह दिसंबर 2022 तक इन समूहों की संख्या बढ़कर 4 लाख 20 हजार से अधिक हो गई हैं।
  • स्व सहायता समूह से प्रदेश में 47 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।
  • इन समूहों को विभिन्न फंडों के माध्यम से अब तक 6 हजार 178 करोड़ रुपये का कुल वित्तीय सहयोग दिया गया है।
  • कृषि, खाद्य प्रबंधन एवं प्राकृतिक संसाधन मध्यप्रदेश देश में खाद्यान का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
  • राज्य द्वारा 2013-14 में 174.8 लाख टन की तुलना में 2022-23 में 352 लाख टन गेहूं का उत्पादन किया।
  • धान का उत्पादन भी 53.2 लाख से बढ़कर 131.8 लाख टन हो गया।
  • फसल क्षेत्र में 5.46 प्रतिशत की वृद्धि और कुल फसलों के उत्पादन में वर्ष 2021-22 में 4.16 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • प्रदेश की सिंचाई क्षमता 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गई।
  • 90 लाख कृषकों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फसल बीमा दिया गया।
  • प्राकृतिक आपदाओं में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2 हजार 548 करोड़ रुपये का प्रावधान किया।
  • मछली उत्पादन में भी मध्यप्रदेश ने 2015 से 2022 की अवधि में 15 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ोतरी की।
  • निर्यात में वृद्धि – मध्यप्रदेश ने निर्यात के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि की। 8.4 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि के साथ प्रदेश का निर्यात वर्ष 2021-22 में 58 हजार 407 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
  • उद्योग, ऊर्जा, अधोसंरचना एवं परिवहन मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है। जिसे विकास के उच्च स्तर पर ले जाने के लिए प्रदेश का औद्योगीकरण अत्यंत आवश्यक है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी छोटे एवं मद्यम उद्योगों की विशेष भूमिका है। प्रदेश में आर्थिक प्रगति की दिशा में वर्ष 2022-23 में नवम्बर 2022 तक 213 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मद्यम उद्योगों की स्थापना हुई जिसमें 11.30 लाख लोगों को संभावित रोजगार उपलब्ध कराया गया।
  • प्रदेश में उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2021-22 में 392 करोड़ से अधिक की वित्तीय सहायता और वर्ष 2022-23 में 181 करोड़ से अधिक की वित्तीय सहायता सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों को प्रदान की गई।
  • ऊर्जा- मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बिजली उत्पादन और उपलब्धता बढ़ाने के सतत् प्रयासों के परिणाम स्वरूप वर्ष 2017-18 में प्रदेश विद्युत आधिक्य की स्थिति में आ गया।
  • वर्ष 2021-22 में कुल 82 हजार 976 मिलियन यूनिट का विद्युत प्रदाय किया गया।
  • मध्यप्रदेश की विद्युत क्षमता वर्ष 2003 में 5 हजार 173 मेगावाट से लगभग 5 गुना अधिक बढ़ गई।
  • वर्ष 2022 में 28 हजार मेगावाट से अधिक हो गई..विगत एक दशक में प्रति व्यक्ति बिजली की उलब्धता में लगभग 207 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • सड़क- प्रदेश में 2003 से लेकर 2022 तक सड़कों को निर्माण एवं उन्नयन 44 हजार किलोमीटर से बढ़कर 4 लाख किलोमीटर से अधिक हो गया।
  • ग्वालियर झांसी (एनएच 75 ) मनगवां (रीवा)- यूपी बॉर्डर (एनएच 27). सिवनी- महाराष्ट्र बॉर्डर (एनएच 7) आदि को बेहतर बाजार पहुंच और पड़ोसी राज्यों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी के लिए विकसित किए गए।

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