शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन कैबिनेट ने नगरीय निकाय के संशोधन का प्रस्ताव पास कर दिए है। इस फैसले के बाद नगरीय निकाय में अब 3 साल में अविश्वास प्रस्ताव आएगा। नगर पालिका अध्यक्ष 3 साल के पहले नहीं हटेगा। मोहन कैबिनेट के फैसले को कांग्रेस ने असंवैधानिक बताया है। उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि बीजेपी के नेता पहले संविधान खत्म करने की बात करते हैं, लेकिन नहीं कर पाते हैं तो छेड़छाड़ करते हैं। इसी क्रम में मोहन यादव सरकार की कैबिनेट का जो फैसला हुआ है वह भी संवैधानिक प्रक्रियाओं से छेड़छाड़ का एक उदाहरण है।
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उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने आगे कहा कि नगर पालिका और नगर निगम के अध्यक्षों को हटाने के लिए पहले 2 वर्ष की अवधि थी। यानी उनके 2 वर्ष के कार्यकाल के बाद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था और दो तिहाई बहुमत होने पर लाया जा सकता था। लेकिन मोहन यादव सरकार ने अब उस दो तिहाई के बहुमत को तीन चौथाई कर दिया है। और 2 वर्ष के कार्यकाल को 3 वर्ष कर दिया है। इससे स्पष्ट है कि बीजेपी के अंदर घबराहट है। चूंकि बीजेपी को विद्रोह का अंदेशा है कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। इसलिए उन्होंने नियमों से छेड़छाड़ करके यह कार्य किया है।
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मैं बीजेपी के इस निर्णय की घोर निंदा करता हूं और बीजेपी के नेताओं, मंत्रियों से कहता हूं कि संविधान से छेड़छाड़ बंद कर दीजिए। जो जनता का गुस्सा है उसे सामने आकर फेस कीजिए, अन्यथा आने वाले समय में परिणाम और भी खराब होंगे।
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मोहन कैबिनेट में क्या लिया गया था फैसला
कल मंगलवार को मोहन कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। बैठक के बाद फैसलों की जानकारी डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने मीडिया को दी। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि नगरीय निकाय में अब 3 साल में अविश्वास प्रस्ताव आएगा। नगर पालिका अध्यक्ष 3 साल के पहले नहीं हटेगा। मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 में संशोधन का प्रस्ताव पास हो गया है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए अब दो तिहाई की जगह तीन चौथाई बहुमत जरूरी होगा। यहां पढ़ें पूरी खबर
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