अजयारविंद नामदेव, शहडोल। क्या आपने कभी देखा है कि किसी जहरीले सांप के बच्चे को एक नहीं 3 बार डसा लेकिन फिर भी उसकी जान बच गई। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि शहडोल जिला अस्पताल में हुआ एक सच्चा चमत्कार है। जहां डाक्टरों ने मौत के मुंह से खींचकर तीन साल की कंचन को नई जिंदगी दी। 

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दरअसल, सोहागपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पिपरिया निवासी कंचन कोल अपनी दादी के साथ जमीन पर सो रही थी। तभी एक जहरीला करैत सांप दबे पांव आया और उसके बाएं हाथ की कोहनी पर लगातार तीन बार डसा। इसके बाद जहर तेजी से शरीर में फैल रहा था और उसकी सांस थमने लगी थी। परिवार घबरा गया लेकिन हिम्मत दिखाते हुए बच्ची को तुरंत जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। 

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सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं की कमी के बावजूद डॉक्टर सुनील हथगेल और उनकी PICU टीम ने हार नहीं मानी। बच्ची पैरालिसिस और सांस लेने की तकलीफ से जूझ रही थी। उसे 11 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। शुरुआत में 20 वायल एंटी-स्नेक वेनम दी गयी। लेकिन जब हालत में सुधार नहीं हुआ तो 10 और वायल दी गई।

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जहर का असर इतना गहरा था कि अंततः करीब 40 वायल देनी पड़ी। धीरे-धीरे कंचन की हालत सुधरी और 15वें दिन उसने खुद से दूध पीना शुरू किया। 20 दिन के संघर्ष के बाद डॉक्टरों ने उसे पूरी तरह स्वस्थ पाकर परिवार को सौंप दिया। 

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डॉक्टर का सफेद कोट सिर्फ कपड़ा नहीं बल्कि उम्मीद का प्रतीक है। शहडोल के इन डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया कि जब हौसले अडिग हों और मरीज को बचाने का जज्बा हो तो जहर भी ज़िंदगी से हार जाता है। कंचन की ये मुस्कान सिर्फ उसके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे शहडोल के लिए एक जीत की कहानी है।

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