शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार खुले बोरवेल की वजह से बच्चों की मौत को लेकर सख्त हो गई है। इसे लेकर सरकार अब मध्य प्रदेश में नया कानून लाने जा रही है। विधानसभा के जुलाई में होने वाले मानसून सत्र में विधेयक को पेश किया जाएगा। एमपी पहला राज्य होगा जो बोरवेल को लेकर यह कानून लाएगा। 

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राज्य सरकार खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक पेश करेगी। सरकार के नए बिल में खुले बोरवेल में बच्चों की मौत के मामले में तगड़ी पेनल्टी लगेगी। बोरवेल मौत के मामले में जिम्मेदारी तय की जाएगी। साथ ही जुर्माने के साथ ही सजा का भी प्रावधान इसमें होगा। 

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बता दें कि एमपी में पिछले 7 महीने में आठ से ज्यादा बच्चों की खुले बोरवेल में गिरने से मौत हो चुकी है। बोरवेल में किसी की मौत ना हो इसको लेकर सरकार तय जिम्मेदारी करेगी। नए नियमों में बोरवेल को खुदाई के बाद ढकने की भी जिम्मेदारी होगी। खुले बोरवेल से अगर कोई घटना होगी तो दोषी को जेल भेजा जाएगा। अफसरों की जिम्मेदारी तय होने के साथ ही बोरवेल वाले पर भी केस दर्ज होगा। 

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हाईकोर्ट लगा चुका सरकार को फटकार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खुले बोरवेल के कारण होने वाली मौतों के लिए सरकार की बार-बार खिंचाई की है। अप्रैल में रीवा जिले में छह वर्षीय बच्चे की मौत का है। 45 घंटे के बचाव अभियान के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। मध्य प्रदेश में ‘हत्यारे बोरवेल’ पर स्वप्रेरणा याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार खुले बोरवेल में गिरकर बच्चों की मौत के संवेदनशील मुद्दे पर लापरवाह रही है। इसे लेकर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

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मनिका गांव में हुआ था बड़ा हादसा

हाल ही में रीवा जिले के मनिका गांव में 6 साल का मयंक आदिवासी खेलते हुए गेहूं के खेत में बने बोरवेल में गिर गया था। जिला प्रशासन और NDRF की टीम ने मामले की जानकारी मिलते ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। 45 घंटे के अथक प्रयास के बाद NDRF की टीम बच्चे तक पहुंची और उसे निकाल कर फौरन अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में कई अफसरों को निलंबित भी किया गया था। 

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