चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्माता-सह-सामाजिक कार्यकर्ता लीना मणिमेकलई और गायिका चिन्मयी श्रीपदा को तमिल फिल्म निर्देशक सूसी गणेशन के खिलाफ मानहानिकारक बयान देने से रोक दिया है। अदालत का निर्देश गुरुवार को फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई द्वारा ‘मी टू’ आंदोलन के दौरान रेप के आरोपों में घिरे निर्देशक के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया।
न्यायमूर्ति अब्दुल कुधूसे की एकल पीठ ने कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन समाचार पोर्टलों को आरोपों से संबंधित कोई भी सामग्री अपलोड करने से रोक दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि मणिमेकलई और गणेशन दोनों को प्रेस में जाने से रोक दिया गया है, क्योंकि मामला विचाराधीन है।
सुसी गणेशन द्वारा दायर एक मुकदमे के बाद मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम आदेश पारित किया गया था, जिसमें फिल्म निर्माता और गायक चिन्मयी से उनके खिलाफ मानहानिकारक बयान देने के लिए मुआवजे के रूप में 1.10 करोड़ रुपये की मांग की गई थी।
सुसी गणेशन ने आरोप लगाया कि लीना मणिमेकलाई ने 2017 में आरोप लगाया था कि 2005 में उनका यौन उत्पीड़न किया गया था।