लखनऊ. प्रदेश के सभी 24 हजार मदरसे विदेशी फंडिंग की जांच को गठित एसआईटी के रडार पर हैं. इनमें से 16 हजार पंजीकृत हैं, जबकि बाकी आठ हजार अवैध हैं. जानकारी के अनुसार एसआईटी सबसे पहले नेपाल सीमा पर बीते दो दशकों के दौरान बने नये मदरसों की जांच करेगी. एसआईटी की पहली बैठक में इस पर सहमति बनी है. जिन मदरसों में विदेश से पैसा भेजा जा रहा है, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी है.
यह भी पढ़ें: कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्या का छलका दर्द, बोलीं- बेटियां अब बोझ नहीं
जानकारी के मुताबिक, शासन के निर्देश पर प्रदेश के मदरसों में विदेशी फंडिंग की जांच के लिए एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई है, जिसमें एसपी साइबर क्राइम प्रो. त्रिवेणी सिंह और निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण जे. रीभा को सदस्य बनाया गया है. एसआईटी के रडार पर इनमें से अधिकतर भारत-नेपाल सीमा पर बीते दो दशकों के दौरान विदेशी फंडिंग की बदौलत खोले गये. इन मदरसों के जरिए टेरर फंडिंग होने की आशंका भी जताई जाती रही है. अब एसआईटी विदेशी फंडिंग के इस्तेमाल के हर पहलू को गहराई से खंगालने जा रही है.
IB ने भी दी थी रिपोर्ट
बता दें कि बैठक में मदरसों में विदेशी फंडिंग को लेकर पूर्व में दर्ज हुए मुकदमों के बारे में भी जानकारी ली गयी, जिसमें सामने आया कि फिलहाल इस तरह का कोई मुकदमा दर्ज नहीं है. अब जिन मदरसों में नियम विरुद्ध तरीके से विदेशी फंडिंग का सुराग हाथ लगेगा, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर विवेचना भी कराई जाएगी. सूत्रों के मुताबिक नेपाल सीमा पर बने मदरसों के बारे में राजधानी स्थित केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी के जोनल कार्यालय ने भी जानकारी एकत्र की थी, जिसकी सूचना केंद्रीय गृह मंत्रालय को दी गयी थी. इस रिपोर्ट में नेपाल सीमा पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों का जमावड़ा होने के साथ मदरसों, मजारों व मस्जिदों का बड़े पैमाने पर निर्माण होने की जानकारी भी दी गयी थी.