शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन, महाअष्टमी, शक्ति और पवित्रता के महापर्व के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष, यह पावन तिथि 30 सितंबर मंगलवार को पड़ रही है. यह दिन विशेष रूप से मां महागौरी को समर्पित है, जिनकी पूजा, हवन और कन्या पूजन से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति का संचार होता है.

महाअष्टमी हवन: नकारात्मकता का दहन, सकारात्मकता का आह्वान

महाअष्टमी पर किया जाने वाला हवन सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि घर और मन की शुद्धि का एक सशक्त माध्यम है. अग्नि में दी जाने वाली प्रत्येक आहुति वातावरण को शुद्ध करती है और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है.

किन्हें करना चाहिए हवन?

  1. नवरात्रि के नौ दिन का व्रत रखने वालों के लिए यह दिन व्रत का समापन और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण अवसर है.
  2. मानसिक तनाव, दिशाहीनता या भावनात्मक कमी से जूझ रहे लोगों के लिए हवन मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है.
  3. जो परिवार में सुख, समृद्धि और शांति चाहते हैं, उन्हें निश्चित रूप से हवन करना चाहिए.

हवन की सरल और शुभ विधि

हवन को विधि-विधान से करने पर उसका फल कई गुना बढ़ जाता है. हवन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें, आटे से रंगोली बनाएं और हवन कुंड को स्थापित करें. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें. इसके बाद जल, चावल और फूल लेकर अपने शरीर और हवन सामग्री पर छिड़ककर शुद्धि करें. हवन की शुरुआत भगवान गणेश के ध्यान से करें. ॐ गणेशाय नमः मंत्र के साथ पहली आहुति दें. नवग्रहों और मां भगवती के मंत्रों – जैसे ॐ दुर्गाय नमः स्वाहा”और ॐ महाकालिकाय नमः स्वाहा का उच्चारण करते हुए आहुति दें. हवन के अंत में आरती करें और देवी से क्षमा याचना करें.

हवन का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष, महाअष्टमी का हवन सुबह 6:13 बजे से लेकर शाम 6:06 बजे तक के शुभ मुहूर्त में करना कल्याणकारी माना गया है.

कन्या पूजन: शक्ति का साक्षात दर्शन

महाअष्टमी का पर्व कन्या पूजन के बिना अधूरा है. इस दिन नौ कन्याओं को देवी के नौ रूपों का साक्षात स्वरूप मानकर, उनकी पूजा की जाती है. उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराना, पैर छूकर आशीर्वाद लेना और उपहार देना, मां दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे सरल और शक्तिशाली मार्ग है. यह कार्य संसार में सुख, समृद्धि और शांति की कामना को पूर्ण करता है.

महानवमी के दिन किसकी होती है पूजा?

महानवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. ये मां दुर्गा का अंतिम स्वरूप है. जैसा की इनके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां और मनचाही इच्छाएं प्रदान करती हैं.