विक्रम मिश्र, प्रयागराज. कड़ाके की ठंड हो या चिलचिलाती गर्मी का मौसम हठयोगियों को इनसे भय नहीं लगता है. जूना अखाड़े के महंत हों या महामंडलेश्वर सभी इस योग में पारंगत हैं. प्रयागराज में यमुना नदी के तट को इन दिनों महाकुंभ के अवसर पर हठयोगियों का जत्था अपनी तपोस्थली बनाये हुए है. यहां पर सैकड़ो की संख्या में हठयोगी अपनी साधना को साकार रूप दे रहे हैं. तो कोई पूरे शरीर में भभूत लगाकर कड़ाके की ठंड में नंग धड़ंग नदी के तीर पर धुनि रामये हुए है.
ऐसे ही हठयोगियों से लल्लूराम डॉट कॉम ने बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि एक योगी अपने हाथों को सालों से एक ही नियत स्थान पर खड़ा रखे हुए हैं. जबकि इससे उनके ऊपर प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ता है. उनके लिए महाकुंभ का समागम अपनों से मिलने की शुभ बेला है. जिसका इंतज़ार उन्हें हमेशा से रहता है. लल्लूराम डॉट कॉम ने देश के कोने कोने से आए हठयोगियों से बात की. जिसमें एक योगी हैं महंत सोमेश्वर गिरी जी, जो हिमाचल से आए हुए हैं.
उन्होंने बताया कि कुंभ में साधु संत जगकल्याण की कामना लेकर साधना करते हैं. जिसमें से एक हठयोग भी है. महंत ने बताया कि योग तो हठ ही होता है. साधना करना भी हठ होता है. साधु आत्मा को हठ कर लेते हैं परमात्मा को मनाने के लिए. कल जूना अखाड़ा की पेशवाई हुई. इसके अलावा कोने-कोने से साधु-संत महाकुंभ के आयोजन में भाग लेने के लिए आ रहे हैं.
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