विक्रम मिश्र, प्रयागराज. महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का जीवंत उदाहरण भी है. इस मेले के दौरान 4 बड़े मंचों एवं 20 लघु मंचों पर 35 दिनों तक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित की जाएंगी. इन प्रस्तुतियों में शास्त्रीय संगीत, लोक नृत्य, नाट्य कला और समकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होंगे. इस आयोजन में विश्व प्रसिद्ध कलाकारों जैसे ए.आर. रहमान, सोनू निगम, श्रेया घोषाल, प्रसिद्ध सितार वादक रिखीराम, रिकी केज और कैलाश खेर की प्रस्तुतियां दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगी.
यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक आस्था, और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक महाकुंभ 2025 एक बार फिर प्रयागराज की पवित्र भूमि पर आयोजित होने जा रहा है. यह आयोजन 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक होगा और इसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के भाग लेने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग और भारत सरकार के सहयोग से आयोजित यह महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि भारतीय परंपराओं, कलाओं और एकता का भव्य उत्सव भी है. इस आयोजन के माध्यम से न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की गहराई और विविधता को भी विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा.
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पर्यटन मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश की पारंपरिक कलाओं जैसे अवधी, धोबिया, राई, मयूर, और करमा नृत्य का प्रदर्शन किया जाएगा, जो स्थानीय लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत करेंगे. सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के अलावा, महाकुंभ में विशेष नाट्य प्रस्तुतियां भी आयोजित की जाएंगी, जिनमें रामलीला, कृष्णलीला, और काकोरी महागाथा जैसे नाटक शामिल होंगे. ये नाट्य प्रस्तुतियां भारतीय परंपराओं और ऐतिहासिक गाथाओं को सजीव रूप में प्रस्तुत करेंगी.
जयवीर सिंह ने बताया कि महाकुंभ-2025 के आयोजन का एक और महत्वपूर्ण पहलू ’कला कुंभ’ प्रदर्शनी है, जो नागवासुकी क्षेत्र में 2 लाख वर्ग फीट के विशाल क्षेत्र में आयोजित की जाएगी. इस प्रदर्शनी में प्राचीन मूर्तियां, ऐतिहासिक दस्तावेज, और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी. प्रदर्शनी में 3डी होलोग्राफिक मॉडल्स और वर्चुअल रियलिटी तकनीक के माध्यम से कुंभ मेले की परंपराओं और ऐतिहासिक महत्ता का प्रदर्शन किया जाएगा. इसके साथ ही, राज्य ललितकला अकादमी द्वारा महाकुंभ की पौराणिक महत्ता पर आधारित चित्र और म्यूरल्स भी प्रदर्शित किए जाएंगे. यह प्रदर्शनी न केवल कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति नई पीढ़ी को जागरूक करने का माध्यम भी बनेगी.
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पर्यटन मंत्री ने बताया कि महाकुंभ मेले में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा आधुनिक तकनीकों और प्रबंधन की भी झलक देखने को मिलेगी. श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं. मेले में आधुनिक सूचना तकनीक का उपयोग करते हुए महाकुंभ प्रशासन द्वारा एक मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, जो आगंतुकों को मेले से जुड़ी जानकारी, कार्यक्रमों का समय-सारणी और यातायात व्यवस्था के बारे में जानकारी प्रदान करेगा. इसके अलावा मेले के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली, ड्रोन कैमरे, और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी. सरकार ने मेले के सफल आयोजन के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े.
जयवीर सिंह ने बताया कि महाकुंभ-2025 के आयोजन का महत्व केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्व के समक्ष भारतीय संस्कृति, परंपराओं, और आध्यात्मिकता की विशिष्टता को प्रस्तुत करने का एक सुअवसर है. यह आयोजन धर्म, कला, और संस्कृति का ऐसा अद्वितीय संगम होगा, जो लोगों को न केवल भारतीय धरोहर से परिचित कराएगा, बल्कि उन्हें एकता और सद्भाव के संदेश से भी प्रेरित करेगा. महाकुंभ 2025 निश्चित रूप से एक ऐसा आयोजन होगा, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के दिलों में स्थायी छाप छोड़ने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को भी विश्व मंच पर उजागर करेगा.
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