विक्रम मिश्र, प्रयागराज. 13 जनवरी से महाकुंभ लोगों को आकर्षित करना शुरू कर देगा. महाकुंभ को लेकर सरकार की तरफ से व्यापक तैयारियां की गई है, जिससे आस्था के इस विशेष समागम में किसी भी श्रद्धालु को किसी प्रकार की समस्या न हो.
टेंट सिटी में घरेलू एहसास
सरकार की तरफ से नागवासुकि मंदिर से लगाये मौजगिरी मंदिर तक नदी के दोनों तरफ टेंट सिटी बनाए जा रहे हैं, जबकि विचरण सुविधाओं के लिहाज से 31 पांटून पुल का निर्माण भी अब अंतिम चरण में है. मेला प्रशासन में तैनात अपर जिलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक श्रद्धा के लिए सुकून की बहुत आवश्यकता होती है. ऐसे में टेंट सिटी को उसी आधार पर ही बसाया जा रहा है, जिससे कि कल्पवासियों को यहां कोई समस्या न हो.
रेत के ऊपर सरपट दौड़ेगी गाड़ियां
शहर से या स्टेशन से टेंट सिटी में जाने के लिए रास्तों को सुगम बनाने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में रेत पर लोहे की बड़ी बड़ी शीट्स को बिछाया जा रहा है. हालांकि, इन शीट्स को सही ढंग से न बिछाए जाने और सन्तों के वाहनों के टायर छतिग्रस्त होने की सूचना भी सामने आ रही है.
24 घण्टे लाइट और पानी होगा उपलब्ध
महाकुंभ के जरिए देश-विदेश में भारत के विकसित होने का संदेश प्रचारित करने के लिए सरकार की तरफ से सख्त निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड की तरफ से पोल-तार और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की गई है. खासबात ये है कि सभी टेंटो में शुद्ध पेयजल और स्नान करने के लिए गर्म जल की सुविधा भी मेला प्रशासन द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है.
पेंट माई सिटी
पेंट माई सिटी की थीम यानी कि महाकुंभ में प्रयागराज के साथ अन्य बड़े शहर जैसे लखनऊ, बनारस, कानपुर के साथ आसपास के जुड़े शहर मिर्जापुर, चंदौली इत्यादि शहरों में महाकुंभ से जुड़ी कलाकृतियों को उकेरा जा रहा है, जिससे सड़कों के माध्यम से आने वाले श्रद्धालु त्रेतायुग को आत्मसात करते हुए संगम तट तक जाएंगे.
6000 करोड़ की लागत से आरंभ होगा महाकुंभ
महाकुंभ नगरी में व्यवस्थाओं के लिए 6 हज़ार करोड़ रुपयों की व्यवस्था की गई है, जिससे समूचे प्रयागराज की अवस्थापना सुविधा के साथ यूपी के 76वे ज़िले महाकुंभनगरी में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है.
कई व्यवहारिक ज़रूरतें अधूरी
लल्लूराम डॉट कॉम से सन्तों की हुई बातचीत में पता चला है कि कई व्यवहारिक ज़रूरतें नहीं पूरी हो पाई हैं. जैसे कि भूमि आवंटन संगम से बहुत दूर किया गया है. संगम के नज़दीक स्वयं सेवी संस्थाओं को भूमि दिए जाने का आरोप संत लगा रहे हैं. आवागमन के लिए पांटून पुल अभी सुचारू रूप से कार्यरत नहीं हुआ है.इसके अलावा अखाड़ों को पिछली बार से कम स्थान देने का आरोप भी संत समाज से जुड़े हुए लोग लगा रहे हैं. हालांकि, इन सभी के बीच सन्तों में एक उत्साह है और वो इस महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के साथ धर्म ध्वज की स्थापना और पूजन-अर्चन के लिए बेताब हैं.
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