प्रयागराज। महाकुंभ नगर में समापन के दौरान एक अद्भुत खगोलीय घटना देखने को मिलेगी। इस दुर्लभ घटना में बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि ग्रह एक साथ आकाश में दिखाई देंगे। साथ ही शनि के साथ यूरेनस और नेपच्यून भी नजर आएंगे। ये सभी ग्रह सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले स्पष्ट रूप से देखे जा सकेंगे। Maha Kumbh 2025 के इस पवित्र अवसर पर आकाशीय नजारे को देखने के लिए श्रद्धालु और खगोल प्रेमी खास उत्साहित हैं। यह घटना धार्मिक और खगोलीय दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

पूरी दुनिया में महाकुंभ की चर्चा

Maha Kumbh 2025 की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। सात समंदर पार के लोग कुंभ की दिव्यता और भव्यता को देखने के लिए आ रहे है। भारत की प्राचीन परंपरा और यहां की सनातन संस्कृति विदेशी लोगों के मन को भा रही है। जिसके परिणामस्वरूप महाकुंभ में अब तक 58 करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा ली है। बसंती पंचमी के मौके पर डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने त्रिवेणी संगम में शाही स्नान किया और मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं 10 लाख से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ में कल्पवास कर रहे है।

READ MORE : ये बजट नहीं ढोल है… अखिलेश ने योगी सरकार पर साधा निशाना, बोले- जनता पूछ रही है कि ‘प्रवचन’ तो आ गया बजट कब आएगा ?

महाकुंभ मे दिग्गज हस्तियों ने लगाई डुबकी

महाकुंभ ( Maha Kumbh 2025 )में अब तक पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, अखिलेश यादव, रवि किशन, हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी, मणिपुर सीएम एन बीरेन सिंह, सीएम योगी और उनका पूरा मंत्रिमंडल, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, कवि कुमार विश्वास, 73 देशों के प्रतिनिधिमंडल, भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक समेत कई बड़ी हस्तियां संगम में स्नान कर चुकी हैं।

READ MORE :SP, BSP और कांग्रेस ‘एक ही थाली के चट्टे-बट्टे’, राहुल गांधी के बयान पर डिप्टी सीएम मौर्य का तंज, विदेशी पैसों का जिक्र कर पूछा ये तीखा सवाल…

महाकुंभ क्यों मनाया जाता है

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों के बीच 12 दिन घमासान युद्ध हुआ। अमृत को पाने की लड़ाई के बीच कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती के चार स्थानों पर गिरी थीं। ये जगह हैं प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक। इन्हीं चारों जगहों पर कुंभ का मेला लगता है। जब गुरु वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं तब कुंभ मेला प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। जब गुरु और सूर्य सिंह राशि में होते हैं तब कुंभ मेला नासिक में आयोजित होता है। गुरु के सिंह राशि और सूर्य के मेष राशि में होने पर कुंभ मेला उज्जैन में आयोजित होता है। सूर्य मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो मानते हैं कि इस अवधि के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।