विक्रम मिश्र लखनऊ। Mahakumbh 2025 तीन साल से ज्यादा वक्त तक चले विनाशकारी युद्ध रूस और यूक्रेन तो आपको याद है न? इन दोनों देश को मनाने में भले ही कामयाबी न मिली हो लेकिन संगम की रेती पर इन दोनों मुल्कों के संत विश्व शांति के लिए हवन पूजन और आहुति देंगे। इनके लिए लकड़ी और कांच से युक्त रूस यूक्रेन आध्यात्मिक गलियारा बनाया जा रहा है। जिसमे दोनों दुश्मन देशों के संत एक ही हवनकुंड में विश्वशांति के लिए आहुति देंगे।

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यज्ञ में शामिल होंगे एक हजार संत

इस शिवशक्ति महायज्ञ में एक हजार संतों के शामिल होने की संभावना है। अपने अलग रीति रिवाज और पूजन की अलग विधि विधान के बावजूद संगम की रेती यानी गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती इस मिलाप की गवाह बनने जा रही है। इधर, प्रयागराज में संतो का समागम शुरू हो गया है। जबकि अस्थाई टेंटो में संतो की टोली अपने अपने विधिविधान से पूजन पाठ में जुट गई है।

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प्रयागराज महाकुंभ में पहली बार सनातन धर्म की चारों पीठों का मिलन होगा। कुम्भ और महाकुंभ के इतिहास में इसे अद्भुत संयोग के रूप में देखा जा रहा है। पहली बार कर्नाटक स्थित शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ जी ने महाकुंभ का आमंत्रण स्वीकार किया है। शृंगेरी पीठ के शिविर के लिए शंकराचार्य मार्ग पर भूमि का आवंटन भी कर दिया गया है।

श्रद्धालुओं का रखा जाएगा खास ख्याल

महाकुंभ नगरी में व्यवस्थाओं के लिए 6 हज़ार करोड़ रुपयों की व्यवस्था की गई है। जिससे समूचे प्रयागराज की अवस्थापना सुविधा के साथ यूपी के 76वे ज़िले महाकुंभनगरी में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई है। एयरपोर्ट में भी विशेष तरह की तैयारियां की जा रही है।