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Maha Shivratri Jagran 2025: महाशिवरात्रि को आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और योग व तंत्र परंपरा में इसे जागरण की रात कहा गया है. यह वह समय होता है जब ब्रह्मांडीय ऊर्जा विशेष रूप से सक्रिय होती है और साधकों को अपनी साधना को गहरा करने का अवसर मिलता है.
महाशिवरात्रि की रात साधना, ध्यान और जागरण से भरी होनी चाहिए. सही विधि से किया गया रात्रि जागरण वास्तव में लाखों वर्षों की ध्यान साधना के प्रभाव के समान माना जा सकता है. इस दिन “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
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रात्रि जागरण का महत्व (Maha Shivratri Jagran 2025)
शिवरात्रि पर पूरी रात जागरण करने को साधना का विशेष अंग माना गया है. इसका कारण यह है कि—
- ऊर्जा संतुलन – इस रात में ग्रहों और चंद्रमा की स्थिति ऐसी होती है कि मानव शरीर की ऊर्जा ऊर्ध्वगामी होने में सहायता करती है. सीधा बैठकर या जागरण करते हुए यह ऊर्जा उच्च चक्रों (सहस्रार) तक पहुंच सकती है.
- योगिक विज्ञान – भारतीय परंपरा के अनुसार, यह रात मानव चैतन्य को जागृत करने की क्षमता रखती है. कहा जाता है कि यदि इस रात को पूरी तरह सचेत अवस्था में बिताया जाए, तो यह वर्षों की ध्यान साधना के बराबर फलदायी हो सकती है.
- ब्रह्मांडीय अनुकूलता – महाशिवरात्रि के समय पृथ्वी का झुकाव और चंद्रमा की स्थिति ऐसी होती है कि ध्यान और आध्यात्मिक साधना का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.
- तांत्रिक और शिव साधना – इस रात को महाकाल (शिव) की कृपा पाने के लिए साधक विशेष साधनाएँ करते हैं, जिससे उन्हें गहरी आध्यात्मिक अनुभूति होती है. (Maha Shivratri Jagran 2025)
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