यमुना नदी के किनारे कैलाश महादेव मंदिर में सावन मास में आस्था का समंदर-सा उमड़ पड़ता है. यहां पर जुड़वां शिवलिंग स्थापित है. त्रेता युग में कैलाश पर्वत पर इन्हें स्वयं भगवान शिव ने परशुराम और उनके पिता ऋषि जयदग्नि को दिया था. कैलाश महादेव मंदिर आगरा शहर से करीब 8 किमी दूर सिकंदरा इलाके में यमुना किनारे स्थित है. कैलाशपति महादेव का दरबार दस हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है. यहां एक साथ दो शिवलिंग मंदिर की महिमा को और भी बढ़ाते हैं. मान्यता है कि ऐसा संयोग दुलर्भ ही मिलता है.
क्या है इस मंदिर से जुड़ी कथा
मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान् विष्णु के छठवें अवतार भगवन परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की आराधना करने गए. दोनों पिता-पुत्र की कड़ी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान मांगने को कहा. इस पर भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने उनसे अपने साथ चलने और हमेशा साथ रहने का आशीर्वाद मांग लिया. इसके बाद भगवान शिव ने दोनों पिता-पुत्र को एक-एक शिवलिंग भेंट स्वरुप दिया.
जब दोनों पिता-पुत्र यमुना किनारे अग्रवन में बने अपने आश्रम रेणुका के लिए चले (रेणुकाधाम का अतीत श्रीमद्भागवत गीता में वर्णित है) तो आश्रम से छह किलोमीटर पहले ही रात्रि विश्राम को रुके. फिर सुबह होते ही दोनों पिता-पुत्र हर रोज की तरह नित्य कर्म के लिए गए. इसके बाद ज्योर्तिलिंगों की पूजा करने के लिए पहुंचे, तो वह जुड़वा ज्योर्तिलिंग वहीं स्थापित हो गए. इन शिवलिंगों को महर्षि परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने काफी उठाने का प्रयास किया, लेकिन उस जगह से उठा नहीं पाए. हारकर दोनों पिता-पुत्र ने उसी जगह पर दोनों शिवलिंगों की पूजा अर्चना कर पूरे विधि-विधान से स्थापित कर दिया और तब से इस धार्मिक स्थल का नाम कैलाश पड़ गया.
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