प्रयागराज महाकुंभ (Mahakumbh 2025), जहां संगम की हर लहर में आस्था बसी है, जहां ब्रह्मा जी ने प्रथम यज्ञ किया. जहां की चरण रज के साक्षी बनने के लिए पूरा विश्व आतुर है. तीर्थराज प्रयागराज में अक्षयवट, बड़े हनुमान जी, वेणीमाधव और पवित्र सरस्वती कूप जैसे तीर्थों का आशीर्वाद बरस रहा है. पवित्र प्रयागराज हर श्रद्धालु के स्वागत को तैयार है.
शहर की हर गली, हर मोड़ कला और संस्कृति का जीवंत कैनवास बन चुकी है. दीवारों पर रामायण, महाभारत और पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे गए हैं, जो हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाते हैं. संगम क्षेत्र में अद्भुत मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जिनमें भारतीय संस्कृति के प्रतीक और महाकुम्भ की महिमा झलकती है. सरस्वती कूप में पौराणिक नदी सरस्वती का रहस्यमय और पवित्र प्रवाह आज भी महसूस किया जाता है.
ज्ञान, संगीत और आध्यात्मिकता की देवी मां सरस्वती प्रयागराज की विद्या का बखान कर रही हैं, तो यहां के हर घाट का एक अनमोल इतिहास है, और हर कण में भक्ति की गाथा छुपी है. दशाश्वमेध घाट भगवान शिव की महिमा का बखान कर रहा है, ब्रह्मा जी के अश्वमेध यज्ञ स्मरण करा रहा है तो भारद्वाज आश्रम भगवान राम के आदर्शों की राह दिखा रहा है.
दिव्यता और आध्यात्मिकता का होगा अनुभव
Mahakumbh: प्रयागराज महाकुम्भ में अखाड़ों की दुनिया से साक्षात्कार करना है तो प्रयागराज आपके आने का इंतजार कर रहा है. यहां आप अखाड़ों के तपस्वियों से मिलेंगे, जिनमें हर कोई अखाड़ा और उसका संत अपने आप में एक ग्रंथ है. दिव्यता और आध्यात्मिकता का अनुभव और मां गंगा समेत ब्रह्मा, विष्णु, महेश का आशीर्वाद लीजिए और प्रयागराज महाकुम्भ में पधारिए.
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