विक्रम मिश्र, लखनऊ. आस्था का परवान चढ़ना अगर देखना और महसूस करना है तो महाकुम्भ आइए. ये किसी पर्व से कम नहीं है. महाकुम्भ में लोगों की आस्था ऐसी है कि गंगा या संगम में डुबकी लगाने से जीवन और मृत्यु के चक्कर से जातक मुक्त हो जाता है, जबकि उसके सारे पाप नष्ट या धुल जाते हैं.

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बता दें कि आम जन के बीच ऐसी मान्यता है कि कुंभ से संबंधित एक किवदंती है. जिसके अनुसार चंद्रमा द्वारा की गई एक गलती की वजह से धरती पर कुंभ और महाकुम्भ का आयोजन होता है. पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन में जब अमृत कलश निकला तो देवता और असुरों में उसको पाने के लिए विवाद हो गया. युद्ध के बीच अमृत कलश को बचाने की ज़िम्मेदारी इंद्र के पुत्र जयंत को सौंपी गई, जो असुरों से भागते और अमृत कलश बचाते हुए इसको चन्द्रदेव के हाथों में सौप दिए.

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इस दौरान असुरों और चंद्रदेव के बीच एक बार अमृत पाने की चाह में कुछ बूंदे ज़मीन पर गिर गई, जिसमें प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार वो देव स्थल है, जहां पर अमृत की बूंदे गिरी थीं. आज इन्हीं चार स्थानों पर 12 साल के अंतराल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है.