विक्रम मिश्र, महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ में संतों और अखाड़ों की पेशवाई को अब नाम परिवर्तित कर छवानी प्रवेश नाम दे दिया गया है। छवानी प्रवेश के बाद भी यहां की जाजिम न्याय व्यवस्था अब भी बदस्तूर जारी है। महाकुम्भ स्थित अखाड़े की छावनी में जैसे ही धर्म ध्वजा की स्थापना होती है। तबसे ही वहां पर जाजिम न्याय व्यवस्था लागू हो जाती है।

महाकुम्भ में धर्म ध्वज का बड़ा महत्व है। ये जिन 4 तनियो पर टिकी होती है। उन्हें धर्म अर्थ काम और मोक्ष माना जाता है। इन्हीं तनियो के नीचे दरी बिछी होती है। जहां से बैठकर जाजिम न्याय व्यवस्था का अनुपालन किया जाता है। जाजिम न्याय व्यवस्था के अंर्तगत सभी तरह के कार्य किए जाते है। किसी भी प्रकार की समस्या हो या फिर कोई बंदोबस्त कार्य बजट का प्रावधान यहीं से होता है। इसके अलावा निये सदस्यों या फिर सांगठनिक निर्वाचन में भी जाजिम न्याय व्यवस्था कारगर होती है।

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बता दें कि एक जनवरी को श्री शंभु पंचायती अटल अखाड़ा ने अपने पेशवाई निकाली और मेले में प्रवेश किया। इस दौरान नागा साधुओं ने विभिन्न तरह के करतब दिखाए। 8 जनवरी को वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणी अखाड़े ने संयुक्त पेशवाई निकाली और मेला स्थल में प्रवेश किया। वहीं आज सीएम योगी सभी 13 अखाड़ों के शिविर का दौरा करेंगे।

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विभिन्न अखाड़ों के छावनी नगर प्रवेश तिथि-

पौष शुक्ल द्वितीया (1 जनवरी 2025) – श्री शंभु पंचायती अटल अखाड़ा
पौष शुक्ल षष्ठी (5 जनवरी 2025) – श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा
पौष शुक्ल षष्ठी (5 जनवरी 2025) – श्री शंभु पंच निर्मोही अनी अखाड़ा
पौष शुक्ल सप्तमी (6 जनवरी 2025) – श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा
पौष शुक्ल एकादशी (10 जनवरी 2025) – श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन
पौष शुक्ल द्वादशी (11 जनवरी 2025) – श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल
पौष शुक्ल त्रयोदशी (12 जनवरी 2025) – श्री शंभु पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन