MahaKumbh Kalpvas: माना जाता है कि जिस व्यक्ति ने महा कुंभ के दौरान कल्पवास का निवाहन कर लिया उसे साक्षात भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में सुख-समृधि, सौभाग्य, संपन्नता और सकारात्मकता का वास स्थापित होता है. क्या होता है कल्पवास, क्या है इसका महत्व और इससे जुड़े नियम कल्पवास का अर्थ
एक महीने तक संगम के तट पर रहकर वेदाध्ययन, ध्यान और पूजा में संलग्न रहना. इस साल महाकुंभ के दौरान पौष मास के 11वें दिन से कल्पवास का आरंभ होगा और माघ मास के 12वें दिन तक इसका पालन किया जाएगा.
क्या है कल्पवास का महत्व?
कुछ लोग मकर संक्रांति से भी कल्पवास की शुरुआत करते हैं. मान्यता है कि कल्पवास मनुष्य के आध्यात्मिक विकास का एक महत्वपूर्ण साधन है. कल्पवास का सबसे कम समय एक रात होता है. इससे ज्यादा की संख्या तीन रात, तीन महीने, छह महीने, छह साल, बारह साल या जीवनभर की भी होती है.
क्या हैं कल्पवास के नियम? (MahaKumbh Kalpvas)
पद्म पुराण में महर्षि दत्तात्रेय द्वारा बताये गए कल्पवास के नियमों के अनुसार, जो लोग 45 दिन तक कल्पवास में रहते हैं उनके लिए 21 नियमों का पालन करना आवश्यक है. जिसमें अन्तर्मुखी जप, सत्संग का आयोजन, संकल्पित क्षेत्र के बाहर न जाना, किसी की निंदा न करना, साधु-सन्यासियों की सेवा करना, जप और संकीर्तन में संलग्न रहना, एक समय भोजन करना, भूमि शयन करना, अग्नि सेवन न कराना, देव पूजन करना शामिल है. कल्पवास गृहस्थी भी कर सकते हैं.
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