डेस्क, Mahakumbh Stampede. इतिहास खुद को दोहराता है… ये कहावत हमने कई बार सुनी है. बीती रात महाकुंभ में जो हुआ, उस घटना ने इस कहावत को सच साबित कर दिया है. आज से 71 साल पहले कुंभ में जो हुआ था, एक बार फिर वैसी ही कुछ स्थिति बनी है. मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए जुटे श्रद्धालुओं में भगदड़ (Mahakumbh Stampede) की वजह से अफरा-तफरी मच गई. ऐसा ही कुछ अतीत में भी हुआ था. उस समय भगदड़ में करीब 1 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.

बात है 71 साल पहले की. तारीख थी 3 फरवरी. वो भी मौनी अमावस्या का ही दिन था. कुंभ में त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में इकट्ठे हुआ थे. सुबह करीब 8-9 बजे का वक्त था. स्नान चल रहा था और कई श्रद्धालु अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. इसी बीच मेला क्षेत्र में खबर फैली कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू आ रहे हैं.

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आजादी के बाद पहला कुंभ स्नान

चूंकी आजादी के बाद ये पहला अवसर था जब इलहाबाद में कुंभ का अवसर आया था. हर कोई इसका साक्षी बनना चाहता था. लिहाजा लोगों की भी भीड़ संगम नगरी पर जमा थी. लोग पुण्य कमाने के लिए यहां पहुंचे थे. जब लोगों को पता चला कि पंडित नेहरू भी इसमें शामिल होने आ रहे हैं, तो सुनते ही भीड़ उन्हें देखने के लिए दौड़ पड़ी. ये सैलाब उस ओर जाने लगा जहां पर नागा साधु रुके हुए थे. भीड़ को अपनी ओर आता देख नागाओं को लगा की वे उन पर हमला करने आ रहे हैं. तो नागाओं ने भी भीड़ पर हमला बोल दिया.

कोई बिजली के खंभे पर चढ़ा, तो तार पर झूला

नागाओं ने भीड़ पर त्रिशूल और तलवार से हमला कर दिया. जिससे मेले में भगदड़ मच गई. लोग एक दूसरे पर गिरे. भीड़ के नीचे कई लोग दबते चले गए. इस भगदड़ से बचने के लिए कोई बिजली के खंभे पर चढ़ गया. किसी ने तार में लटककर अपनी जान बचाई. बताया जाता है कि इस दौरान करीब 1000 लोगों की मौत हुई थी.

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जब बेकाबू हुआ था हाथी, मेले में नेहरू जी भी थे मौजूद

इसी तरह इस हादसे का एक और पहलू इतिहास में दर्ज है. बताया जाता है कि कुंभ मेले में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे. इस दौरान एक हाथी के नियंत्रण से बाहर होने के कारण भगदड़ का माहौल बन गया. कई श्रद्धालु नदी में डूब गए, कुछ कुचले गए. इस हादसे में सैकड़ों लोग मारे गए थे.

फोटो ने उठाया सरकार की नाकामियों से पर्दा

हालांकि ये भी बताया जाता है कि इस घटना को राज्य सरकार छिपाती रही. शासन-प्रशासन इस पर पर्दा डालने पर लगा हुआ था. उनकी तरफ से लगातार ये दावा किया जा रहा था कि कोई भी मौत नहीं हुई है. लेकिन एक एक फोटोग्राफर ने सरकार के इस दावे के झूठा साबित कर दिया. फोटोग्रामफ की तस्वीर ने सरकारी तंत्र तो झूठा साबित कर दिया.

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VIP की एंट्री पर रोक

इस हादसे से सबक लेते हुए कुंभ मेला के प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी के प्रवेश पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया और हाथियों के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी गई. यही वजह है कि आज भी कुम्भ, महाकुम्भ, अर्द्धकुम्भ के बड़े स्नान पर्वों या मुख्य स्नान के दिन वीवीआईपी के जाने पर पाबंदी है.

स्टेशन पर में थी भगदड़

इतिहास में ऐसी ही एक दुर्घटना का भी जिक्र आता है. बात 2013 की है. ये भी मौनी अमावस्या का दिन था. प्रयागराज के रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 35 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं दर्जनों लोग घायल भी हुए थे. यह घटना प्लेटफार्म 6 के पास फुट ओवरब्रिज की सीढ़ियों पर हुई थी. उस समय रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ थी. लोग स्नान करने के बाद घर लौटने के लिए पहुंच रहे थे. इस हादसे के बाद, रेलवे ने भीड़ प्रबंधन पर ध्यान देना शुरू किया और यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी.

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‘मौत का अनाउंसमेंट’

इस हादसे की वजह एक अनाउंसमेंट बनी थी. दरअसल, यात्री संगम से वापस घर लौट रहे थे. सभी प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर थे. जिस प्लेटफॉर्म में ट्रेन आनी थी वहां सभी इंतजार कर रहे थे. लेकिन अचानक अनाउंसमेंट हुई कि ट्रेन दूससे प्लेटफॉर्म पर खड़ी है और खुलने वाली है. फिर क्या था, लोग दूसरे प्लेटफॉर्म की ओर दौड़े. फुट ओवरब्रिज से होते हुए लोग जा रहे थे. इतने में ब्रिज पर लोड इतना ज्यादा बढ़ गया कि पुल नीचे गिर गया और 35-36 लोग इस हादसे में मारे गए.