महालक्ष्मी वरदान दिवस: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन महाराजा अग्रसेन को माता लक्ष्मी ने धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया था. ऐसा माना जाता है कि महाराजा अग्रसेन ने मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन एक विशेष पूजा की थी, जिसमें उन्होंने समाज में न्याय, धर्म और समानता को बनाए रखने की कसम खाई थी. उनकी भक्ति, ईमानदारी और समाज के प्रति योगदान को देखकर देवी लक्ष्मी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके राज्य को अपार समृद्धि, धन और प्रसिद्धि से भर दिया. इस दिन (15 दिसंबर) महाराजा अग्रसेन के अनुयायी अपने घरों में लक्ष्मी पूजन और विशेष रूप से अग्रसेन महाराज की पूजा कर समृद्धि की कामना करते हैं. मार्गशीर्ष पूर्णिमा को विशेष रूप से अग्रवाल समुदाय द्वारा वरदान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
महाराजा अग्रसेन का जन्म प्रतापनगर के राजा वल्लभ के घर में हुआ था. उस समय द्वापर युग का अंतिम चरण था. वर्तमान पंचांग के अनुसार महाराजा अग्रसेन जी का जन्म लगभग 5185 वर्ष पूर्व हुआ था. बचपन से ही उन्होंने वेद, शास्त्र, शस्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र आदि का ज्ञान प्राप्त कर लिया. सभी क्षेत्रों में सक्षम होने के बाद अग्रसेन जी का विवाह नाग राजा कुमुद की पुत्री माधवी से हुआ. उनकी धर्म में गहरी रुचि थी. वह ईश्वर में विश्वास करते थे. अत: उन्हें अपने जीवन में कई बार देवी लक्ष्मी से यह वरदान मिला कि जब तक उनके परिवार में देवी लक्ष्मी की पूजा होती रहेगी तब तक उनका परिवार धन-धान्य से समृद्ध रहेगा.
देवी महालक्ष्मी के आशीर्वाद से, राजा अग्रसेन ने रानी माधवी के साथ एक नया राज्य स्थापित करने के लिए भारत की यात्रा की और अग्रोहा शहर की स्थापना की. आगे चलकर अग्रोहा कृषि एवं व्यापार के लिए प्रसिद्ध स्थान बन गया. महाराजा अग्रसेन ने राज्य एवं प्रजा की भलाई के लिए 18 हवन किये. बता दें, उनके 18 बेटे थे. उनके बाद अग्रवाल समाज के 18 कुल बने.
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