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रायपुर- महानदी को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच छिड़ा विवाद खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। कलमा बैराज का गेट बंद किए जाने के मामले पर ओडिशा सरकार ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ ने एकतरफा कार्यवाही करते हुए बैराज का पानी रोक दिया है, इससे ओडिशा में अशांति के हालात बन गए हैं। नवीन पटनायक ने बीते दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह को पत्र भेजकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। पटनायक ने कहा है कि छत्तीसगढ़ कलमा बैराज पर महानदी का पानी रोकने से ओडिशा का हित प्रभावित हो रहा है। इधर नवीन पटनायक के आरोपों का छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने खंडन करते हुए कहा है कि- नवीन पटनायक का आरोप तथ्यहीन है।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कलमा बैराज में पिछले 6 माह से पानी का स्तर यथावत बना हुआ है। किसी भी प्रकार से अतिरिक्त पानी का संग्रहण कलमा बैराज में नहीं किया गया। अतिरिक्त पानी की निकासी के लिए एक गेट खुला रखा गया है, जिससे बैराज में आने वाले पानी का नीचे प्रवाह निरंतर होता रहता है। इसके कारण पानी की उपब्लधता में कोई कमी नहीं है।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सामान्यत: महानदी में गैर मानसून अवधि में पानी का बहाव नहीं होता है। इसलिए व्यर्थ में विवादास्पद बयान देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जांजगीर-चांपा जिले के बसंतपुर में केन्द्रीय जल आयोग की गेज साईट स्थापित है। इस गेज साइट पर वर्तमान में 2 जून 2017 की स्थिति में 262 क्यूसेक बहाव रिकार्ड किया गया है, जबकि कलमा बैराज के नीचे बहाव इससे भी अधिक 454 क्यूसेक्स है। इससे यह स्पष्ट है कि ओड़िशा राज्य को मिलने वाले जल बहाव में कोई बाधा उत्पन्न नहीं हुई है। ओड़िशा सरकार द्वारा जो विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) के आधार पर आरोप लगाया जा रहा है, वह वर्ष 1902 के वर्षा एवं बहाव के आंकड़ों पर आधारित है, जबकि वर्तमान मानसून का पैटर्न परिवर्तित होने के कारण उसे मेेन्टेन किया जाना तर्कसंगत नहीं है।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ओड़िशा के मुख्यमंत्री का कथन पूर्णतः असत्य, भ्रामक, तथ्यहीन एवं निराधार है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नियमों और अपने अधिकार के तहत ही पानी का उपयोग प्रदेश हित में किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ के हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है।
महानदी को लेकर जिस तरह से हालात बनते नजर आ रहे हैं, उससे साफ है कि दो राज्यों के बीच हितों का टकराव दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। महानदी विवाद को सुलझाने के लिहाज से केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती भी मध्यस्तता कर चुकी हैं। सचिव स्तरीय बातचीत भी हो गई है, बावजूद इसके समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा।