रायपुर। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के दोनों शागिर्द हैं. अब तक गुरु दिग्गी जब भी छत्तीसगढ़ आते थे दोनों शिष्य चरणदास महंत और भूपेश बघेल साथ मिलकर गुरु के साथ साए की तरह रहते थे. लेकिन इस बार क्या हुआ कि दो दिन गुरु यहां रहे और दोनों शागिर्दों ने एक-दूसरे के साथ साथ रहना भी गवारा नहीं समझा.

दोनों नेताओं के बीच विवाद राजनीतिक सुर्खियों का विषय है. बताया जाता है कि मनमुटाव काफी समय से चल रहा है लेकिन पुराने संबंधों की वजह से एक दूसरे का लिहाज़ था इसलिए नाराज़गी दिखती नहीं थी. लेकिन जबसे जांजगीर चांपा के बीच दोनों के बीच विवाद हुआ है. ये लिहाज़ भी लगता है ख़त्म हो गया है. दिग्विजय सिंह दो दिन तक छत्तीसगढ़ दौरे में थे. दो दिन के दरम्यान दोनों नेता दो मिनट भी साथ नहीं रहे. पहले दिन तमाम दिग्गज दिग्विजय सिंह को लेने एयरपोर्ट पहुंचे थे लेकिन चरणदास महंत यहां न आकर सीधे डोंगरगढ़ निकल गए.

डोंगरगढ़ दिग्विजय सिंह के साथ भूपेश बघेल थे. चरणदास महंत जब सीढ़ियों से उतर रहे थे तब दिग्विजय सिंह उनकी पत्नी अमृता सिंह और भूपेश बघेल के साथ सीढ़ियो से ऊपर चढ़ रहे हैं. बताया जाता है कि मुलाकात पूर्व निर्धारित थी. बताया जा रहा है कि यहीं पर भूपेश बघेल और चरणदास की मुलाकात हुई. हांलाकि इनके बीच क्या चर्चा हुई ये इन तीनों के अलावा कोई जानता लेकिन माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह ने सुलह की कोशिश कराई होगी. इसके बाद महंत रायपुर लौट आए और दिग्विजय सिंह भूपेश के साथ डोंगरगढ़ दर्शन करके देर रात वापस लौटे.

इस मुलाकात के बाद दिग्विजय सिंह ने मीडिया से कहा कि अब सब गुरु हो चुके हैं. ये बयान उन्होंने भूपेश और महंत के संदर्भ में दिया या ये सामान्य जवाब था ये साफ नहीं हो पाया.

लेकिन इस मुलाकात का असर इस दौरे में नहीं दिखा. क्योंकि अगले दिन दिग्विजय सिंह रायपुर में रहे. सुबह उनसे मिलने चरणदास महंत आए तो भूपेश ने इसमें आने से परहेज किया. वे दिग्विजय सिंह के साथ दोपहर बाद के कार्यक्रमों में शामिल हुए. भूपेश के करीबियों द्वारा इसका कारण बताया गया कि दिग्विजय सिंह लौटते हुए चरौदा स्थित आवास गए थे. जहां वे देर रात तक उनकी सेवा में जुटे रहे. जिससे सुबह उन्हें आने में देर हो गई.  इसके बाद भूपेश और महंत का एक दूसरे से मुलाकात न करना ये साबित करता है कि दोनों के बीच अभी भी सबकुछ ठीक नहीं है. गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह बार-बार कांग्रेस की गुटबाज़ी की बात को स्वीकार करते रहे.