रायपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरणदास महंत के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस ख़त्म हो गया है. वे सक्ती सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. चुनाव समिति ने उनका सिंगल नाम स्क्रीनिंग कमेटी को भेजा है. नामों की सूची कलिता लेकर दिल्ली रवाना हो गए हैं.
चरणदास महंत का नाम आलाकमान के कहने पर जोड़ा गया है. महंत ने चुनाव के लिए ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के पास आवेदन नहीं किया था. उन्होंने कहा था कि वे आलाकमान के कहने पर ही चुनाव लडेंगे. बताया जाता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने उन्हें रायपुर दौरे के वक्त आलाकमान की इच्छा से अवगत करा दिया था.
इसके बाद चरणदास महंत का नाम सक्ती से फाइनल किया गया है. सक्ती से ब्लॉक कांग्रेस के कई दावेदारों ने अपने आवेदन में लिखा है कि वे महंत को यहां से चुनाव लड़ाने के इच्छुक हैं. चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए पहली बार चुनाव लड़ेंगे. वे आखिरी बार 1993 में चुनाव लड़े थे. इसके बाद 1998 तक मध्यप्रदेश सरकार के नंबर टू बने. वे गृहमंत्री और जनसंपर्क मंत्री बने. अचानक 1998 में दिग्विजय सिंह ने उन्हें लोकसभा भेज दिया.
तब इसे लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म रहा. उस समय ये चर्चा थी कि अर्जुन सिंह से महंत की बढ़ती नज़दीकी के चलते आने वाले समय का खतरा मानते हुए दिग्विजय सिंह ने उन्हें लोकसभा भिजवाया. इसके बाद महंत ने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा. हालांकि बाद में अर्जुन सिंह के बाद चरणदास महंत दिग्विजय सिंह के शागिर्द बन गए. वे दस जनपथ के विश्वसनीय नेताओं में शुमार किये जाते हैं. 2012 से 2014 तक महंत यूपीए सरकार में केंद्रीय कृषिराज्य मंत्री थे. लेकिन 2014 के चुनाव में वे करीब 4 हज़ार वोटों से हार गए थे.