आज बाहुड़ा यात्रा का पावन अवसर है, जब भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी मां के घर गुंडिचा मंदिर से विदा होकर वापस श्रीमंदिर लौट रहे हैं। इस यात्रा का विशेष महत्व है। बता दे गुंडिचा मंदिर से महाप्रभु, बलभद्र और सुभद्रा के रथ शाम तक पहुंचेंगे। इस साल जगन्नाथ रथयात्रा दो दिन चली थी। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक भगवान अपनी मौसी के यहां गुंडिचा मंदिर में ठहरते हैं।
बाहुड़ा यात्रा के लिए सभी अनुष्ठानों का कार्यक्रम तय है। परंपरा के अनुसार गुंडिचा मंदिर में सभी अनुष्ठान पूरे होने के बाद, दोपहर 12 बजे देवताओं की ‘पहांडी’ निकाली गई। शाम 4 बजे रथों को खींचने की परंपरा निभाई जाएगी। रथों को खींचने की विधि पूरी होने के बाद, रथों के ऊपर अन्य अनुष्ठान किए जाएंगे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अनुसार सभी अनुष्ठानों को सुचारू और अनुशासित तरीके से आयोजित करने के लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं।
7 जुलाई को यात्रा शुरू हुई और 8 जुलाई को भगवान के तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे थे। हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को स्नान करवाया जाता है। इसके बाद वे बीमार हो जाते हैं और आषाढ़ कृष्ण पक्ष के 15 दिनों तक बीमार रहते हैं, इस दौरान वे दर्शन नहीं देते।16वें दिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है और नवयौवन के दर्शन होते हैं। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से रथ यात्रा शुरू होती है।
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