Maharashtra: महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में एक बार फिर महायुति के अंदर फूट की चर्चा जोरो पर है. डिप्टी CM एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) फिर से गठबंधन से नाराज बताए जा रहे है. इस बार उनकी नाराजगी की वजह अजित पवार को माना जा रहा है. इस बीच शिंदे ने महायुति के अंदर फूट पड़ने की अफवाहों को खारिज किया है. डिप्टी CM ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन में सब कुछ ठीक है और अगर कोई बात है तो उसका हल बातचीत से निकाला जाएगा.
महायुति सरकार में फूट पड़ने की बात पिछले काफी समय से सामने आ रही हैं. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच मतभेद सामने आ रहे हैं, लेकिन शिंदे ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. डिप्टी सीएम शिंदे का कहना है कि महायुति के अंदर फूट पड़ने की बात महज अफवाह है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन में सब कुछ ठीक है और अगर कोई मुद्दा होगा तो उसे बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा.
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डिप्टी सीएम अजित पवार क्या बोले?
इससे पहले अजित पवार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था अगर एकनाथ शिंदे को कुछ कहना है तो वह सीधे मुझसे या राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात करें. उन्होंने कहा हमारे बीच अच्छे संबंध हैं. साथ ही यह भी कहा कि सभी को अटकलों के बजाय फैक्ट पर ध्यान देना चाहिए.
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फंड आवंटन को बताया जा रहा खींचतान की वजह
ऐसा माना जा रहा है कि शिवसेना पवार के पास अटकी अपनी मंत्रालयों से संबंधित फाइलों को मंजूरी देने में देरी से नाखुश है साथ ही वह सीएम फडणवीस द्वारा शिंदे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार द्वारा लिए गए कुछ फैसलों को पलटने से भी नाखुश है. इस बीच पुणे दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच शनिवार को एक अहम बैठक हुई. इस बैठक को महाराष्ट्र की महायुति सरकार में फंड आवंटन को लेकर चल रही खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है. बताया जा रहा है कि शिंदे ने शाह से वित्त विभाग से संबंधित फाइलों की मंजूरी में हो रही देरी को लेकर चिंता जाहिर की.
दरअसल वित्त विभाग उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास है. शिंदे का कहना है कि शिवसेना के मंत्रियों और विधायकों की विकास योजनाओं की फाइलें लंबे समय तक अटकी रहती हैं जिसकी वजह से जरूरी प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं उन पर काम नहीं हो पा रहा है. उन्होंने सहयोगियों के बीच ‘समानता और पारदर्शिता’ की बात को दोहराते हुए कहा कि फंड वितरण और फाइल मंजूरी में निष्पक्षता होनी चाहिए.
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