Eknath Shinde On Uddhav Thackeray and Raj Thackeray: राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने की अटकलों ने महाराष्ट्र की राजनीति में सरगर्मी बढ़ा दी है। हालांकि अब भी इस पर मुहर लगना बचा है लेकिन इसने महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स को जरूर गर्म कर दिया है। इसका असर इसी से समझा जा सकता है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नाराज हो गए। पत्रकार द्वारा ‘छोड़ो यार, काम की बात करो…’, राज-उद्धव ठाकरे के एकसाथ आने के सवाल पर डिप्टी CM एकनाथ शिंदे भड़क गए। शिंदे ने कहा कि ये सब छोड़ो यार, काम की बात करो। इन सबके बजाय सरकार के काम के बारे में बात करनी चाहिए।
दरअसल एकनाथ शिंदे विगत शनिवार को महाबलेश्वर में अपने गांव दरे (Dare) के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे। शिंदे के साथ जल संरक्षण मंत्री संजय राठौड़ भी थे। दोनों सिंचाई योजनाओं, बांधों और जल संरक्षण पहलों जैसी परियोजनाओं का निरीक्षण कर रहे थे।
इसी दौरान टीवी मराठी के एक संवाददाता ने सवाल दागा: “क्या राज ठाकरे-उद्धव ठाकरे गठबंधन राज्य की राजनीतिक गतिशीलता को बदल देगा?” शिंदे को भड़काने के लिए बस इतना ही काफी था! डिप्टी सीएम ने न केवल सवाल को खारिज कर दिया, बल्कि रिपोर्टर के बूम माइक को भी नजरअंदाज कर दिया। एकनाथ शिंदे ने कहा, “मेरे पास फालतू के राजनीतिक सवालों के लिए वक्त नहीं है, काम पर ध्यान दें।
संजय राउत शिंदे और फडणवीस पर निशाना साधा
शिंदे की तीखी प्रतिक्रिया अब पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई है। शिंदे के इस बर्ताव पर शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि यह तो जाहिर सी बात है कि शिंदे नाराज होंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा।
राउत ने पत्रकारों से कहा, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपना गुस्सा नहीं दिखाएंगे, लेकिन इसे लेकर उनके पेट में मरोड़ देते रहेगा। हम जानते हैं कि बीजेपी की खुशी कितनी झूठी है। वे यह (गठबंधन) नहीं चाहते हैं। दरअसल शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा था, “अगर वे साथ आते हैं, तो हमें खुशी होगी। अलग-थलग पड़े लोगों को साथ आना चाहिए, और अगर उनके विवाद खत्म हो जाते हैं, तो यह अच्छी बात है। मुझे लगता है कि मीडिया बहुत ज्यादा अटकलें लगा रहा है, इसलिए कुछ समय तक इंतजार करना बेहतर है।
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राज ठाकरे ने 2006 में छोड़ दी थी पार्टी
बता दें कि शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ने जनवरी 2006 में पार्टी छोड़ दी थी और अपने फैसले के लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद उन्होंने मनसे की स्थापना की जिसने शुरू में उत्तर भारतीयों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, लेकिन, 2009 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने के बाद मनसे का जनाधार घटता चला गया और 2024 के विधानसभा चुनाव में उसका खाता तक नहीं खुला था।
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