
महाराष्ट्र में महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये प्रदान करने वाली लाडकी बहिन योजना में महत्वपूर्ण परिवर्तन होने जा रहे हैं. इस योजना के अंतर्गत उन लाखों महिलाओं को सूची से बाहर किया जा सकता है, जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत है या जो स्वयं अच्छी आय अर्जित कर रही हैं. वित्त मंत्री अजित पवार ने विधानसभा में सोमवार को स्पष्ट किया कि इस योजना को समाप्त नहीं किया जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे. कई विधायकों ने इस योजना को लेकर अपनी चिंताओं का इजहार किया, जिसके उत्तर में अजित पवार ने बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि ऐसे नागरिक जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंधित नहीं हैं, उन्हें भी इस योजना का लाभ मिल रहा है, जो कि राज्य सरकार की जल्दबाजी का परिणाम है. यह योजना वास्तव में एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव से पहले शुरू की गई थी.
चुनाव के समय महायुति ने आश्वासन दिया था कि सत्ता में आने के बाद इस राशि को 2100 तक बढ़ाया जाएगा, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इस बीच, सरकार ने यह घोषणा की है कि योजना की समीक्षा की जाएगी और अपात्र व्यक्तियों को बाहर किया जाएगा. फिर भी, अजित पवार ने अपात्र लोगों को एक राहत प्रदान की है, यह कहते हुए कि जिन लोगों ने अपात्र होने के बावजूद योजना का लाभ उठाया है, उनसे राशि की वसूली नहीं की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि हम योजना से किसी को बाहर करने से पहले अपील करेंगे कि जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे इसका लाभ न लें, जैसे पीएम नरेंद्र मोदी ने गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी.
देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद यह स्पष्ट किया था कि इस योजना के तहत पात्रों की सूची की पुनरावलोकन की जाएगी, क्योंकि उनके अनुसार, इस सूची में कई अपात्र लोग शामिल हैं. अजित पवार का सूची की समीक्षा करने का बयान उस समय आया है, जब यह चर्चा हो रही है कि सरकार के पास वित्तीय संसाधनों की कमी है. वास्तव में, लाडकी बहिन योजना में बड़ी राशि खर्च हो रही है, जिसके कारण अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर योजनाओं को प्राथमिकता देने में कठिनाई हो रही है. हाल ही में सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने बताया कि सरकार ने 7000 करोड़ रुपये की राशि उनके विभाग से निकालकर लाडकी बहिन योजना के लिए आवंटित की है. उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने इस योजना के लिए 46 हजार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था, जबकि 2025-26 में इसके लिए केवल 36 हजार करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया गया है.
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