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Mahashivratri 2025. ‘दुल्हा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना…’,’शिव दुल्हा के माथे पर सोहे चनरमा….’ ये गीत आज काशी में गूंजे. क्योंकि आज भूतभावन भगवान शिव को हल्दी (baba vishwanath haldi) लगाई गई. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि (26 फरवरी) को देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती का ब्याह होगा. जिसकी रस्में बाबा विश्वनाथ की नगरी में शुरू हो गई है. इसी कड़ी में सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत निवास में बाबा को हल्दी लगाई गई. महिलाओं ने बाबा भोलेनाथ के विवाह के पहले हल्दी लगाई. महिलाओं ने शिव भजन और मंगल गीत गाए. इनमें शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन की मंगल कामना की गई. बाबा को खास बनारसी ठंडई, पान और पंचमेवा का भोग लगाया गया. अब काशी के अधिपति जल्द ही दूल्हा बनेंगे.
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महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ से जुड़ी लोकपरंपरा का निर्वाह इस वर्ष श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के नागा साधुओं एवं महात्माओं की ओर से किया गया. श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा की ओर से बाबा के लिए महाराणा प्रताप की धरती मेवाड़ से ये हल्दी मंगाई गई.
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बाबा की उतारी गई नजर
रस्मों के दौरान नंदी, शृंगी, भृंगी आदि गणों ने नाच-नाच कर सारा काम किया. तो वहीं दूसरी ओर भगवान शिव का सेहरा और पार्वती की मौरी कैसे तैयार की जा रही है. हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा. बाबा के तेल-हल्दी की रस्म दिवंगत महंत डॉ. कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में हुई. पूजन अर्चन का विधान पं. वाचस्पति तिवारी ने किया.
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