महाशिवरात्रि विशेष: महाशविरात्रि का पर्व पूरे प्रदेश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। प्रदेश में विभिन्न जिलों में भगवान शिव के मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं और कथा प्रचलित है।
सुनील जोशी, अलीराजपुर। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर जोबट विधानसभा क्षेत्र का ग्राम उंडारी का सिद्धेश्वर महादेव मंदिर जहां पर चलित शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण सन 1944 में जोबट रियासत के राजा राणा भीम सिंह और उनकी पत्नी मुकुंद कुंवर द्वारा तत्कालीन तहसीलदार नरपत सिंह राठौड़, गिरधावर जगन्नाथ बर्वे, जगन्नाथ सोनी और सातुलाल राठौड़ के सहयोग से किया गया था।
बताया जाता है कि राजा भीम सिंह को शिवलिंग खेत में दबे होने का सपना आया जिसके बाद किसान के खेत पर पहुंचकर जमीन की फावडे से खुदावाया गया। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु अपनी कोहनी को टिकाए बिना शिवलिंग को उठा लेता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

सागर। शहर के भगवान शंकर के एकमात्र मंदिर भूतेश्वर में रात से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया।श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ का अभिषेक कर रहे हैै। यह सिलसिला पूरी से रात से देर शाम तक चलता रहा। शाम को भोलेनाथ की बारात शहर की प्रमुख मार्गो से होती हुई मंदिर पहुंची जहां बारात का स्वागत के प्रसाद बांटा गया। इसके बाद देर रात भोलेनाथ का विवाह हुआ।

नासिर बेलिम उज्जैन। बाबा महाकाल की महाशिवरात्रि पर्व पर प्रात: काल भस्म आरती हुई। बाबा महाकाल का आज विवाह होने पर विशेष अभिषेक किया गया। दूल्हे की तरह बाबा को सजाया गया। आज से सतत 44 घंटे भक्तों को दर्शन देंगे महाकाल। साल में एक बार दोपहर में होने वाली भस्म आरती आज 12 बजे हुई।

इमरान खान,खंडवा। शहर के ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़। पवित्र नर्मदा नदी में स्नान के बाद भगवान भोलेनाथ का अभिषेक और पूजन किया गया।

मनोज उपाधयाय, मुरैना। नरेश्वर महादेव मंदिर बटेश्वरा के 200 मंदिरों के समूह से भी कई सदी पुराना है। दुर्गम रास्ते, घने जंगल व पहाड़ों के बीच यहां लगभग 45 मंदिर हैं, जिनमें से आधे मंदिर पत्थरों का ढेर बनकर पहाड़-जंगलों में बिखरे पड़े हैं। यहां मंदिर वर्गाकार बने हैं, जो देश में कहीं और नहीं दिखते। हर मंदिर में अलग आकार का शिवलिंग है। मुख्य मंदिर का शिवलिंग चतुर्भुजी हैं, जिसका जलाभिषेक पहाड़ों को चीरकर निकली जलधारा करती है। जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर, मुरैना, ग्वालियर और भिण्ड जिले के बार्डरों के बीच दुर्गम जंगल और पहाड़ों के बीच है नरेश्वर महादेव, जिसे स्थानीय लोग केदारा के नाम से भी जानते हैं। शिव मंदिरों के बीच माता हरसिद्धि का मंदिर भी है। नरेश्वर महादेव का शिवलिंग जो चौकोर हैं। ऐसा चौकोर शिवलिंग नरेश्वर के अलावा भोपाल के भोजपुर मंदिर में है। लेकिन नरेश्वर के कई मंदिरों में चौकोर, कइयों में अंडे जैसे आकार के, कइयों में पिंडी व मणि के आकार के शिवलिंग हैं। यानी हर मंदिर का अलग शिवलिंग हैं, जिनमें समानता यह है कि अधिकांश शिवलिंग नींचे से चौकोर हैं। यह मंदिर राज्य पुरात्तव धरोहरों में शामिल हैं। संरक्षण के लिए बीते महीने ही इंफोसिस फाउंडेशन ने 4 करोड़ रुपये सरकार को दिए हैं।

रवि रायकवार दतिया। दतिया के वनखण्डेश्वर शिव मंदिर महाभारत कालीन है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने की थी। दतिया का पीताम्बरा पीठ पर स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर जिसे लोग दतिया के वनखण्डेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जानते हैं। यह शिव मंदिर महाभारत कालीन है। बुजुर्ग यह भी मानते हैं कि अश्वत्थामा आज भी यहां सुबह किसी वक्त पूजा करने आते हैं।

51 फीट ऊंचे शिवलिंग का अभिषेक
दीपक कौरव,नरसिंहपुर। जिले के गाडरवारा की शक्कर नदी के पास बनी डमरुनुमा पहाड़ी पर स्थित है भगवान शिव की 51 फीट ऊंची विशालकाय शिवलिंग। इसी के चलते इस जगह का नाम डमरु घाटी पड़ा हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचे।

न्यामुद्दिन अली। अनूपपुर जिले के पवित्र नगरी अमरकंटक में आज सुबह से देश प्रदेश के भक्तों का भगवान भोलेनाथ के दर्शन का तांता लगा रहा। मां नर्मदा उद्गम नगरी अमरकंटक में लोग नर्मदा स्नान कर पूजा अर्चना किए। शिवालयों में पूजा-अर्चना के साथ ओम नम: शिवाय के जयकारे गूंजते रहे।

अनिल सक्सेना, रायसेन। विश्व प्रसिद्ध विशाल शिवलिंग मंदिर भोजपुर में शिवरात्रि पर सुबह 4 बजे से भक्तों का मेला लगा। भक्तों ने भगवान शिव का अभिषेक और पूजन किया। लगभग 10 वीं शताब्दी का प्राचीन विश्व का सबसे बड़ा विशाल शिवलिंग मन्दिर भोजपुर में हैं।

पप्पू खान, पिपरिया(पचमढ़ी)। शिवनगरी पचमढ़ी में चौड़ागढ़ पर्वत पर शिवभक्तों का उमड़ा सैलाब। सुबह से श्रद्धालुओं शिवभक्तों द्वारा महादेव मंदिर में अभिषेक पूजन हुआ। पचमढ़ी महादेव मेला में शिव भक्त 151 किलो वजनी त्रिशूल लेकर पहुंचे।
रेणु अग्रवाल धार। महाशिवरात्रि पर आज सुबह से ही धार के अधिपति बाबा धार नाथ के दरबार में श्रद्धालुओं का तांता लगा। भक्तों ने भगवान शिव को दूध, दही, गंगाजल धतूरा, बिल्वपत्र आदि पूजा समाग्रियों से अभिषेक किए।

नीलेश शर्मा पन्ना। पन्ना में महाशिवरात्रि की प्रभात बेला में शिव की बारात निकाली गई। बारात में जहां रथ पर शिव आकर्षण का केंद्र था तो ब्रह्कुमारी आश्रम की और से पंक्तिबद्ध रूप से चल रहे लोगों के हाथ में समाज में जागरूकता लाने के लिए नारों से सजे बैनर भी थे। बारात आश्रम से होते हुए पूरे पन्ना नगर से होते हुए आश्रम में पहुंची।
तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में महाशिवरात्रि पर सुबह 4 बजे मंदिरों में दर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है। मंदिर में दर्शनार्थियों की लंबी लंबी कतार लगी है। ज्योतिर्लिंग मन्दिर के गर्भगृह में पहुंच कर श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के मूल स्वरूप पर जल और पुष्प-बेलपत्र चढा रहे हैं। गर्भ गृह को सुगंधित फूलों से सजाया गया है। मां नर्मदा के विभिन्न घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा स्नान कर रहे है। वहीं भगवान ओंकारेश्वर- ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। सुबह से करीब 20 से हजार लोग स्नान व दर्शन कर चुके हैं। प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। मंदिर के प्रवेश द्वारों पर दर्शनार्थियों की थर्मल स्केनिंग की जा रही हैं।

पांडवकालीन शिव मंदिर
संजय विश्वकर्मा उमरिया। पांडवों ने एक रात में किया था भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण, अदभुत है यहां का शिवलिंग। जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर पहाड़ी अंचल में कलचुरी कालीन भगवान विश्वनाथ का पूर्वाभिमुखी पंचरथ मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है। भगवान शिव के इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। असल में यह मंदिर पांडवों ने तब बनाया था जब वे अज्ञातवास में थे और इस मंदिर का निर्माण एक रात में किया गया था। मंदिर में मौजूद शिलालेख से इस बात की जानकारी मिलती है। मंदिर की वास्तु कला और नैसर्गिक चमत्कार दूर-दूर तक फैली हुई है।

एनके भटेले, भिंड। चम्बल अंचल के प्राचीन वनखंडेश्वर महादेव मंदिर में रात 2 बजे से भोलेनाथ के दर्शन का तांता लगा। अल सुबह तक ही ढाई हजार से ज़्यादा कावंड़ चढ़ चुकी और यह सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। करीब 3 किलोमीटर तक भक्तों और कांवरियों की लाइन लगी रही। भिंडी ऋषि की तपोभूमि पर विराजे वनखंडेश्वर महादेव का इतिहास भी बेहद रोचक है। वनखंडेश्वर मंदिर को भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर के महंत पंडित वीरेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि 11वीं सदी में जब राजा पृथ्वीराज चौहान 1175 ई. में महोबा के चंदेल राजा से युद्ध करने जा रहे थे। उस दौरान भिण्ड में उन्होंने डेरा डाला था। यहां अपनी सेना के साथ ठहरने के दौरान पृथ्वीराज चौहान को रात में सपना आया कि जमीन में शिवलिंग है. जिसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने खुदाई करवाई तो शिवलिंग निकला। पृथ्वीराज ने इस शिवलिंग की स्थापना करने का निर्णय लिया और देवताओं, शिल्पकारों द्वारा मंदिर का ऐतिहासिक मठ तैयार किया गया।

यादवेन्द्र सिंह,खरगोन। महाशिवरात्रि पर निकली चुनरी यात्रा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमडा। तिरुपति बालाजी भक्त मंडल और विधायक रवि जोशी की अगुवाई में कोरोना काल के बाद निकली इस धार्मिक यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। करीब 40 किलोमीटर दूर नर्मदा तट पर नवडातौडी में मां नर्मदा को चुनरी चढाने के बाद शालीवान मंदिर परिसर में एक लाख 11 हजार एक सौ 11 पार्थिव शिव लिंग का निर्माण कर पूजन किए।

सुनील जोशी,अलीराजपूर। मालदेव-धनदेव महादेव जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि यह मंदिर धन देने वाला है। जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर जोबट से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर यह प्राचीन मालदेव धनदेव शिव मंदिर है। यह मंदिर प्राचीन समय में भक्तों को उधार के रूप में मुद्रा (धन) देता था। मंदिर में भगवान से मांगने और वापस लौटाने का वादा करने के बाद भक्त जैसे ही पीछे पलटता था उसकी जरूरत का धन वहां प्रकट हो जाता था। यह सिलसिला वर्षों तक चला। लेकिन एक भक्त ने मांगने के बाद प्राप्त धन लौटाया नहीं और एवज में कवेलू की मुद्रा बनाकर रख दी। इसके बाद से मंदिर का यह चमत्कार खत्म हो गया।

संदीप शर्मा, विदिशा। जिले के उदयपुर में प्राचीन नील कंठेश्वर महादेव शिव मंदिर में 501 दीप जलाकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया गया। उदयपुर स्थित प्राचीन नील कंठेश्वर महादेव मंदिर अपने आप में एक अद्भुत शिल्पकला का नमूना है। मंदिर का निर्माण मात्र एक रात में किया गया था। उदयपुर मंदिर के पुजारी ने बताया मंदिर पर उत्कीर्ण दो शिलालेख में जिनमें 1059 से 1080 के बीच परमार राजा उदयादित्य द्वारा मंदिर निर्माण की पुष्टि होती है। मंदिर के गर्भगृह में जाने की पाबंदी रखी गई है।
बीडी शर्मा, दमोह। जिले के बांदकपुर में देव जागेश्वर नाथ धाम में महाशिवरात्रि के पर्व पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने सुबह 4 बजे सपरिवार पहुंचकर अभिषेक किया।
आलोक श्रीवास्तव शाजापुर। महाशिवरात्रि पर्व की शुजालपुर में खेड़ापति हनुमान मंदिर मानस भवन के समीप शुजालपुर मंडी से 11 बजे शुरू हुई भूतों की भव्य बारात का 1 किलोमीटर लंबा काफिला शहर को भक्तिमय बना रहा है। खेड़ापति हनुमान मंदिर के पुजारी ने पारंपरिक रूप से पूजा घर भगवान महाकाल को नगर भ्रमण के लिए पालकी में बैठाया। पालकी की अगवानी घुड़सवार ध्वज पताका लिए चल रहे भक्तों ने की। भगवान केदारनाथ के साथ ही भगवान ब्रह्मा, लक्ष्मीनारायण, हनुमान की आकर्षक झांकी भी चलित वाहनों पर सजाई गई। मथुरा से आए 20 से अधिक कलाकारों ने अग्नि नृत्य कर लोगों का मन मोह लिया। ढोल की थाप पर घोड़ी ने भी नाच किया। साथ ही भगवान भोलेनाथ और पार्वती का रूप धरे पात्रों ने भांग की बरसात के बीच चलित वाहनों पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया।

ग्वालियर। ऊर्जा मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर महाशिवरात्रि के मोंके पर शिव भक्ति में डूबे नजर आए। वह किलागेट से पैदल चलकर कोटेश्वर महादेव मंदिर दर्शन करने पहुंचे। इस दौरान ऊर्जा मंत्री ने जगह जगह रुककर श्रद्धालुओं को प्रसादी वितरण किया।