मलेशिया. मलेशिया में एक बड़ा सत्ता परिवर्तन हुआ है. महातिर मोहम्मद ने नजीब रज्जाक को हराकर एक इतिहास रच दिया है. वो भी 92 साल की उम्र में ऐसा कर दिखाया है. सरकार बनते ही महातिर मोहम्मद ने एक अहम फैसला लेते हुए जीएसटी को खत्म कर दिया है. आने वाले 1 जून से पूरे मलेशिया में जीएसटी को खत्म कर दिया गया है.

देश के अंदर इस नई टैक्स व्यवस्था को 3 साल पहले ही वहां लागू किया गया था और वहां के आम चुनावों में सत्ता परिवर्तन के लिए जीएसटी को ही बड़ी वजह माना गया. नजीब रज्जाक की हार के पीछे जीएसटी व्यवस्था को ही सबसे बड़ा कारण माना गया है.आपको बता दें कि महातिर मोहम्मद ने चुनावों के दौरान जीएसटी व्यवस्था को खत्म करने का ही वादा किया था. जिसकी वजह से वो चुनाव में जीत पाए हैं. भारत से पहले मलेशिया आखिरी देश था जिसने अपने वहां जीएसटी व्यवस्था लागू की गई थी. विशेषज्ञों ने मलेशिया सरकार के इस फैसले को भारत के लिए खतरे की घंटी बताई है. इस घटनाक्रम के बाद भारत भी जीएसटी के लिहाज से अगले तीन-चार साल तक सावधानी से कदम आगे बढ़ा सकता है. देश में पिछले साल जुलाई में लागू जीएसटी अब भी पूरी तरह व्यवस्थित नहीं हो पाई है.

माना जा रहा है कि जो सरकार जीएसटी लागू करती है वो चुनाव हार जाती है. मलेशिया में ऐसा ही हुआ. लेकिन भारत में ऐसा नहीं हुआ है. भारत में जीएसटी लागू होने के तुरंत बाद गुजरात चुनाव हुआ था. सूरत के व्यापारी जीएसटी के कारण बर्बादी का रोना रो रहे थे. और आज भी रो रहे हैं मगर उन्होंने वोट भाजपा को ही दिया. शुरू में बीजेपी आधार और जीएसटी का विरोध करती थी, आज वह इन दोनों की सबसे बड़ी प्रचारक है. राहुल गांधी गुजरात में जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहते रहे, कर्नाटक में भी कहते हैं. गुजरात की जनता ने बीजेपी को ही चुना.

जीएसटी का मतलब टैक्स की एक दर है. भारत में जीएसटी की कई दरें हैं. मलेशिया में 6 प्रतिशत है. हम यहां जीएसटी की समस्या को सिर्फ व्यापारियों की समस्या समझते हैं. समस्या है भी मगर व्यापारी वर्ग बीजेपी के साथ ही है. वह इस समस्या से एडजस्ट हो चुका है. इसलिए भारत के चुनावों में जीएसटी का सरकार विरोधी असर होगा, अभी देखना और समझना बाकी है. भारत के राजनीतिक दलों ने लोगों पर जीएसटी का असर नहीं देखा या उनके बीच इस मुद्दे को उठाकर नहीं देखा है कि जनता क्या करती है.