वैष्णव जन तेने कहिए जे, पीड़ पराई जाने रे ।….
पर दुखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आने रे ।।…

वर्ष 1933 में रायपुर के जैतू साव मठ के एक कुंए में महात्मा गांधी एक बालिका के हाथों पानी पी रहे थे। यह घटना छत्तीसगढ़ की धरती पर ही युगों पहले घटित उसी घटना का दोहराव ही था जब प्रभु राम शबरी के हाथों मीठे बेर खा रहे थे।
दुनिया का सबसे मीठा बेर राम ने ही खाया था, सबसे मीठा पानी बापू ने ही पिया था।
राम एक मुहिम थे, और बापू भी। दुनिया को दुनिया बनाए रखने और बचाए रखने के लिए यह सत्य के अन्वेषण और असत्य के प्रतिकार की मुहिम थी। प्रेम, दया, करुणा ही सृष्टि के सत्य है, घृणा सबसे बड़ा झूठ। विविधता सबसे बड़ा सत्य है, एकरूपता की जिद सबसे बड़ी अज्ञानता।

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान ।
रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम ।।

नोट- लेखक छत्तीसगढ़ जन संपर्क विभाग में आयुक्त के पद पर हैं।