रायपुर. पर्यावरण संरक्षण मंडल की तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए गोमर्डा अभ्यारण्य से सटे इलाके में क्वार्टज की तीन-तीन खदानें अलार्ट कर दी गई थी. जिस वक्त इन तीनों खदानों को अनुमति दी गई उस वक्त मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह थे जिनके पास खनिज विभाग था. जबकि पर्यावरण संरक्षण मंडल का जिम्मा राजेश मूणत के पास था और वनमंत्री महेश गागड़ा थे. समिति ने शुरुआती जांच में तीनों खदानों की दूरी अभ्यारण्य से 1 किलोमीटर के दायरे में पाई है. 10 किलोमीटर के क्षेत्र तक खनन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई हुई है.
गौरतलब है कि महासमुंद जिले के सराईपाली में खनिज विभाग ने कार्रवाई करके नियमों का उल्लंघन करते हुए चल रही तीन खदानों को बंद कराया था. इसके बाद पर्यावरण संरक्षण बोर्ड ने तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई थी. जांच समिति में वैज्ञानिक पीके रवड़े, क्षेत्रीय अधिकारी एसके उपाध्याय और अधीक्षण अभियंता आरके शर्मा शामिल थे. समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है.
समिति ने अपनी जांच में पाया कि गांव बिरकोल में चल रही तीनों माइन एक किलोमीटर के अंदर है. दूरी की प्रमाणित जानकारी वन विभाग से लेने की अनुशंसा समिति ने की है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारण्य के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई भी माइनिंग गतिविधि के लिए वन विभाग फारेस्ट क्लीयरेंस नहीं दे सकता. लेकिन यहां चल रही सुशीला माइनिंग, मेमर्स अशोक कुमार पटेल और मेमर्स राजेश शर्मा की खदानों को अनुमति तथ्यों को छिपाकर दे दी गई. समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि शुरुआती जांच के आधार पर राजेश शर्मा के खदान की गोमर्डा से दूरी मात्र 100 मीटर है. जबकि सुशीला माइनिंग के खदान की दूरी अभ्यारण्य से मात्र 550 मीटर है. जबकि अशोक कुमार पटेल के खदान की दूरी मात्र 1 किलोमीटर है.
समिति ने पाया कि तीनों ही खदानें सुशीला माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड, मेमर्स अशोक कुमार पटेल और मेमर्स राजेश शर्मा की खदानों को क्रमश: 6 जनवरी 2017, 23 अक्टूबर 2017 और 19 जनवरी 2018 को खनन के लिए पर्यावरण संरक्षण बोर्ड ने अनुमति दी. समिति ने इन तीनों खदानों का निरीक्षण 14 जुलाई 2020 का निरीक्षण किया. यहां के स्थानीय लोगों से बात की. समिति ने लिखा है कि तीनों खदानों में नियमों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया जा रहा था. तीनों ही खदानों में नियम विरुद्ध बड़े पैमाने पर खुदाई के लिए क्रशर लगाई हुई थी.
इस मसले पर हमने तात्कालीन वनमंत्री महेश गागड़ा से बात करने की दो दिनों तक कोशिश की लेकिन उनके दोनों नंबरों से संपर्क नहीं हो पाया.