माहेश्वरी समाज का प्रमुख पर्व महेश नवमी इस वर्ष 4 जून को श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया. यह पर्व माहेश्वरी समाज के लिए अत्यंत विशेष होता है क्योंकि इसी दिन समाज की उत्पत्ति मानी जाती है. महेश नवमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि माहेश्वरी समाज के गौरव, परंपरा और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है.

इस दिन का महत्व
यह दिन माहेश्वरी समाज के उत्पत्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव (महेश) और माता पार्वती (महेश्वरी) की कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है.
पूजा-विधि
- प्रातःकाल स्नान कर व्रत रखा जाता है.
- भगवान महेश (शिव) और माता पार्वती की मूर्तियों का अभिषेक और पूजन किया जाता है.
- मंदिरों और समाजिक भवनों में भजन, कीर्तन, रथयात्रा और झांकियों का आयोजन होता है.
- सामूहिक भोज (भंडारा) एवं सामाजिक एकता के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
किसकी पूजा करता है माहेश्वरी समाज
भगवान शिव (महेश) को कुलदेवता मानकर पूजा की जाती है.
माता पार्वती (महेश्वरी) को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है.
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