दिल्ली. आजकल लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का चलन या शौक कुछ ज्यादा ही चल पड़ा है. लेकिन अगर आप भी लिव-इन में रहने का प्लान बना रहे हैं या फिर रह रहे हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. अब लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला अपने पार्टनर के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारे भत्ते के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है.
एक बड़े और ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन के एक मामले में कहा है कि घरेलू हिंसा में न सिर्फ शारीरिक, मानसिक बल्कि आर्थिक तौर पर प्रताड़ित करने के मामले में लिव-इन में रह चुकी महिला अपने पार्टनर के खिलाफ कानूनी उपचार का सहारा ले सकती है. खास बात ये है कि इस कानून के तहत वह गुजारा भत्ता भी पाने की हकदार है.
दरअसल एक महिला ने लिव-इन रिलेशनशिप से एक बेटे को जन्म दिया था. अपने लिव-इन पार्टनर की बेरुखी से परेशान होकर महिला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद महिला और उनके बेटे को फैमिली कोर्ट ने 2010 में गुजारा भत्ता दिए जाने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ महिला के पार्टनर ने झारखंड हाई कोर्ट का रुख किया था. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जो शादीशुदा महिला हैं, उन्हें ही सीआरपीसी की धारा-125 के तहत गुजारा भत्ता दिया जा सकता है. इस पर महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि महिला शादीशुदा नहीं है, तो भी घरेलू हिंसा कानून के तहत महिला भत्ते की हकदार हो सकती है. चूंकि महिला शादीशुदा नहीं है. ऐसे में सीआरपीसी की धारा-125 के तहत गुजारा भत्ते की हकदार हो सकती है.
तो, ये खबर उन सबके लिए आंख खोलने वाली है जो लिव-इन रिलेशन में रह रहे हैं या फिर रहने का प्लान बना रहे हैं. अब जरा, सोच समझकर कदम उठाइएगा क्योंकि लिव-इन के नाम पर अपनी जिम्मेदारी से अब पुरुष पार्टनर नहीं बच सकेगा.