मनेंद्र पटेल, दुर्ग। भिलाई के मैत्रीबाग जू से एक दुखद घटना सामने आई है। जहां सफेद बाघों के कुनबे की महत्वपूर्ण सदस्य 10 वर्षीय सफेद बाघिन ‘जया’ अपने केज में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई। सुबह की गश्त के दौरान जब जू प्रबंधन के कर्मचारियों ने जया को निष्क्रिय देखा, तो तत्काल इसकी सूचना वन विभाग और वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और बाघिन की मौत की पुष्टि की।

बता दें कि आज दोपहर डीएफओ की मौजूदगी में विशेषज्ञ टीम द्वारा जया का पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद नियमों के तहत उसी दिन मैत्रीबाग परिसर के भीतर उसका अंतिम संस्कार भी किया गया।
पेट में इंफेक्शन की आशंका, असली वजह पोस्टमार्टम के बाद स्पष्ट होगी
प्रारंभिक जांच में अनुमान लगाया जा रहा है कि जया की मौत पेट में हुए गंभीर इंफेक्शन की वजह से हो सकती है। हालांकि डीएफओ का कहना है कि अंतिम निष्कर्ष पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आएगा।
जानकारों के अनुसार सफेद बाघ सामान्य बाघों की तुलना में अधिक संवेदनशील होते हैं और मौसम परिवर्तन के दौरान उनकी खास देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। पिछले दिनों बढ़ी ठंड को देखते हुए जू प्रशासन ने उनकी डाइट में बदलाव के साथ-साथ केज के आसपास अलाव जलाने जैसे उपाय भी किए थे।
1990 में शुरू हुई थी मैत्रीबाग में सफेद बाघ संरक्षण की कहानी
मैत्रीबाग को देश के प्रमुख सफेद बाघ संरक्षण केन्द्रों में गिना जाता है। 1990 में ओडिशा के नंदनकानन जू से सफेद बाघों की पहली जोड़ी यहां लाई गई थी, जिसके बाद वर्षों में उनका कुनबा बढ़कर 19 तक पहुंच गया था। यहां से सफेद बाघों को गुजरात, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्यप्रदेश और रायपुर तक भेजा गया है।
जया की मौत के बाद अब केवल 5 सफेद बाघ शेष
करीब डेढ़ साल पहले रायपुर जंगल सफारी से लाई गई बाघिन जया, मैत्रीबाग के सफेद बाघ कुनबे की महत्वपूर्ण सदस्य थी। उसकी अचानक मौत से जू परिसर में उदासी का माहौल है। जया के निधन के बाद अब मैत्रीबाग में सफेद बाघों की संख्या घटकर 5 रह गई है।
वन विभाग अब इस मामले की विस्तृत जांच कर रहा है, ताकि मौत के वास्तविक कारण का पता लगाया जा सके और भविष्य में सफेद बाघों की सुरक्षा व स्वास्थ्य प्रबंधन को और मजबूत किया जा सके।
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