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Ladki Bahin Yojana News: महाराष्ट्र में ‘लाडकी बहिन योजना’ से 5 लाख महिलाओं के नाम काट दिए गए हैं, जिसके बाद लाभार्थियों की संख्या घटी है. दिसंबर 2024 में लाभार्थियों की संख्या 2.46 करोड़ से घटकर पिछले महीने 2.41 करोड़ हो गई. अब चर्चा हो रही है कि जिन महिलाओं के नाम काट दिए गए हैं, उनसे पैसे वापस लिए जाएंगे? इस बीच, राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने स्पष्ट किया कि सरकार को इनसे धन वापस नहीं लेना है.
रिपोर्ट के मुताबिक महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने कहा, “राशि वापस नहीं ली गई है और राज्य सरकार का ऐसा करने का कोई इरादा भी नहीं है. जिन लोगों को अपात्र घोषित किया गया है, उन्हें आगे लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन पहले से जमा की गई राशि वापस लेना उचित नहीं होगा.”
क्यों 5 लाख महिलाओं को अयोग्य माना गया?
महिला एवं बाल विकास विभाग की एक अधिकारी ने बताया कि 5 लाख महिलाओं को अलग-अलग कारणों से अयोग्य पाए जाने के बाद. महाराष्ट्र सरकार की महत्वपूर्ण मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के लाभार्थियों की संख्या दिसंबर 2024 में 2.46 करोड़ से घटकर पिछले महीने 2.41 करोड़ हो गई है.
उन्होंने यह भी कहा कि पांच लाख महिलाओं में से 1.5 लाख 65 वर्ष से अधिक की थीं, जबकि 1.6 लाख या तो चार पहिया वाहन रखते थे या नमो शेतकारी योजना जैसी अन्य सरकारी योजनाओं से लाभ पाते थे.
महिलाओं को सशक्त करना लाडकी बहिन योजना का लक्ष्य
अधिकारी ने कहा, “लगभग 2.3 लाख महिलाएं संजय गांधी निराधार योजना के तहत लाभ प्राप्त कर रही थीं, जिससे वे लाडकी बहिन योजना के लिए अयोग्य हो गईं. पिछले साल जुलाई में लाडकी बहिन योजना शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था, और इस योजना को पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में महायुति की शानदार जीत के अहम कारणों में से एक माना गया था.
‘लाडकी बहिन योजना’ के लिए पात्रता क्या?
21 से 65 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को महाराष्ट्र में इस योजना के तहत हर महीने 1500 रुपये की सहायता दी जाती है. 2.5 लाख रुपये से कम वार्षिक पारिवारिक आय वाली महिलाओं के पास फोर व्हीलर गाड़ी नहीं होनी चाहिए और उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी सेवा में नहीं होना चाहिए.
बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी गठबंधन ने महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा में 230 सीटें जीतीं. चुनाव प्रचार के दौरान महायुति के नेताओं ने लाडकी बहिन योजना के तहत मासिक सहायता को 1500 रुपये से बढ़ाकर 2100 रुपये करने का वादा किया था, हालांकि विपक्ष ने इस योजना पर लगातार हमला किया.
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