शब्बीर अहदम, भोपाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा इंडिया समूह के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ओम प्रकाश श्रीवास्तव (ओपी श्रीवास्तव) को मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया है। वहीं इस कार्रवाई ने मध्य प्रदेश में सहारा की बेशकीमती जमीनों को ‘कौड़ियों के भाव’ बेचने के पुराने मामलों को फिर से सुर्खियों में ला खड़ा किया है। लाखों करोड़ रुपये के इस कथित घोटाले में निवेशकों के फंड की शेल कंपनियों के जरिए हेराफेरी का भी आरोप लगा है।
श्रीवास्तव पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप
ईडी के अनुसार, श्रीवास्तव सहारा समूह के प्रमुख सूत्रधारों में से एक थे, जिन्होंने सुब्रत रॉय के निधन के बाद भी समूह की संपत्तियों का गैरकानूनी तरीके से निपटान किया। गुरुवार को कोलकाता ईडी कार्यालय में लंबी पूछताछ के दौरान श्रीवास्तव के जवाब संतोषजनक न होने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया। जांच में सामने आया है कि श्रीवास्तव पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है, जिसमें निवेशकों से जुटाई गई राशि को शेल कंपनियों के माध्यम से हेरफेर करने का भी शामिल है।
सहारा की कई मूल्यवान जमीनों को कम कीमतों में बेचने का आरोप
मध्य प्रदेश कनेक्शन ने इस गिरफ्तारी को और संवेदनशील बना दिया है। राज्य में सहारा की कई मूल्यवान जमीनों को कम कीमतों में बेचे जाने के मामलों में श्रीवास्तव का नाम प्रमुखता से उभरा है। सूत्रों के मुताबिक, भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में सहारा की लगभग 707 एकड़ जमीन की जब्ती के दौरान ही श्रीवास्तव की भूमिका संदेह के घेरे में आई थी। इनमें से एक प्रमुख सौदा विधायक संजय पाठक की कंपनी को कम दामों में जमीन बेचने का था, जिसमें रोक के बावजूद लेन-देन पूरा किया गया। निवेशकों और स्थानीय कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इन सौदों से समूह ने अरबों रुपये का नुकसान किया, जबकि खरीदारों को फायदा पहुंचा।
मध्य प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर सवाल?
इधर ईडी की इस गिरफ्तारी के बाद मध्य प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। राज्य स्तर पर सहारा जमीन बिक्री घोटाले की जांच चल रही थी, लेकिन श्रीवास्तव को यहां गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? सहारा समूह पर लंबे समय से निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के आरोप लगे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर समूह को करोड़ों रुपये लौटाने का दायित्व था, लेकिन संपत्तियों की बिक्री में अनियमितताओं ने मामला जटिल कर दिया। श्रीवास्तव की गिरफ्तारी से उम्मीद है कि घोटाले की नई परतें खुलेंगी और निवेशकों को न्याय मिलेगा।
जमीनों की खरीद फरोख्त में किया बड़ा फर्जीवाड़ा
ईओडब्ल्यू व ईडी में दर्ज शिकायत के अनुसार, सहारा ग्रुप की 312 एकड़ से ज्यादा जमीन, जिसकी कीमत 1000 करोड़ से अधिक थी, विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक की पारिवारिक कंपनियों को 79.66 करोड़ में बेची गई। भोपाल के ग्यारह मील स्थित मक्सी ग्राम की 110 एकड़, कटनी-जबलपुर की 100-100 एकड़, सागर की 99 एकड़ जमीन भी औने-पौने दाम में बेची गई. -ग्वालियर में 100 करोड़ की 100 एकड़ जमीन सिर्फ 18.60 करोड़ में बेची, जिसे शिकायत में बड़ी हेराफेरी बताया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दर्ज रिपोर्ट में भोपाल के मक्सी गांव स्थित 110 एकड़ जमीन का वैल्यूएशन 125 करोड़ बताया गया था। इसके 10 साल बाद यही जमीन महज 47 करोड़ में बेच दी गई। सागर की जमीन भी कौड़ियों के दाम बेच दी गई। यही नहीं इन जमीनों के बेचने से मिले 62.50 करोड़ बेईमानी पूर्वक सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट में जमा करने की बजाय शेल कंपनियों के खाते में जमा कर दिए गए। मप्र ईओडब्ल्यू की जांच में भी मुख्य भूमिका सिमांतो रॉय के साथ जेबी रॉय व ओपी श्रीवास्तव की पाई गई। कटनी और जबलपुर में नेशनल हाईवे की जमीनें भी मार्केट वैल्यू से कम कीमत पर बेची गईं।
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