आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की जाँच के लिए गठित विशेष जाँच दल (SIT) ने बड़े पैमाने पर मिलावट के आरोपों की जाँच शुरू कर दी है। जाँच में सामने आया है कि भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी नाम की कंपनी ने पिछले पाँच सालों में करीब 68 लाख किलो नकली घी तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को सप्लाई किया। इसकी कीमत लगभग 250 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

SIT की रिपोर्ट के मुताबिक, यह डेयरी वास्तव में कभी दूध की खरीद ही नहीं करती थी, बल्कि पाम ऑयल और विभिन्न केमिकल मिलाकर नकली घी तैयार करती थी। इस घोटाले को लेकर CBI के नेतृत्व में SIT जाँच जारी है और अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

इनमें अजय कुमार सुगंध नाम का व्यक्ति भी शामिल है, जिस पर डेयरी को केमिकल सप्लाई करने का आरोप है। जाँच में फर्जी कंपनियों और जाली दस्तावेजों का बड़ा जाल सामने आया है। गौरतलब है कि श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू में कथित मिलावट का खुलासा पिछले साल हुआ था।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल सितंबर में कहा था कि करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़े इस मामले में राजनीतिक ड्रामा नहीं होना चाहिए। इस टिप्पणी के बाद कोर्ट ने मामले की SIT जाँच के निर्देश दिए थे।

ब्लैकलिस्टेड होने के बाद भी जारी रहा खेल

सीबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी ने फर्जी देसी घी निर्माण इकाई बनाकर दूध की खरीद-बिक्री से जुड़े रिकॉर्ड में धोखाधड़ी की. वर्ष 2022 में भोले बाबा डेयरी को अनियमितताओं के कारण ब्लैकलिस्ट किया गया. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने नाम बदलकर टीटीडी से ठेके हासिल किए. उन्होंने वैष्णवी डेयरी (तिरुपति), माल गंगा डेयरी (उत्तर प्रदेश) और एआर डेयरी फूड्स (तमिलनाडु) जैसे अलग-अलग नामों से बोली लगाई और टीटीडी को नकली घी की आपूर्ति जारी रखी.

अस्वीकृत घी की फिर से आपूर्ति

जांच में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया. पिछले साल जुलाई में टीटीडी ने जिस घी को पशु वसा की मिलावट के कारण अस्वीकार कर दिया था, वही घी एआर डेयरी ने वैष्णवी डेयरी के जरिए फिर से मंदिर को भेज दिया. जब एफएसएसएआई और एसआईटी की टीम ने एआर डेयरी के तमिलनाडु स्थित संयंत्र का निरीक्षण किया, तो पता चला कि चार टैंकर वापस नहीं लौटे और उन्हें पास की एक पत्थर तोड़ने वाली यूनिट में भेज दिया गया था.

अगस्त 2024 में वैष्णवी डेयरी ने उन्हीं टैंकरों के लेबल बदलकर घी की गुणवत्ता और गाढ़ापन सुधार दिया और वही घी दोबारा टीटीडी को भेज दिया. इसी नकली घी से पवित्र तिरुपति लड्डू प्रसाद तैयार किया गया. अब सीबीआई इस घोटाले में शामिल सभी डेयरियों, रासायनिक आपूर्तिकर्ताओं और टीटीडी के अधिकारियों की भूमिका की बारीकी से जांच कर रही है.

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