Makar Sankranti 2024 : हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बहुत ही खास होता है. इस पर्व का सांस्कृतिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्त्व भी है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. स्नान आदि के बाद तिल का दान किया जाता है. साथ ही तिल और गुड़ से बनी चीज़ों का सेवन भी किया जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर इन चीज़ों के साथ-साथ पतंग उड़ाने की भी परंपरा है. इसी वजह से मकर संक्रांति को पतंगबाजी का त्यौहार भी कहा जाता है. इस साल 15 जनवरी को धूम धाम से संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा और जगह-जगह पतंगबाजी का जश्न भी देखने को मिलेगा. पतंगबाजी से कई तरह के शारीरिक लाभ मिलते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.

  • पतंग उड़ाने से फिजिकल एक्सरसाइज होती है. पतंग उड़ाते वक्त इसकी डोर खींचते हैं, तो इससे हाथ, कंधे, कमर, पैर और आंखों इन सभी की एक साथ एक्सरसाइज होती है.
  • पतंग उड़ाने वाले की नजरें काफी तेज होती हैं. बारीक डोर और दूर उड़ने वाली पतंग को भी वह आसानी से देख लेता है. इससे आई-साइट मजबूत हो जाती है. आंखों से जुड़ी कई बीमारियां दूर होती हैं.
  • सर्दी के मौसम में जुकाम-खांसी की समस्या बहुत आम होती है, तो जब आप पतंगबाजी करते हैं तो सूरज की किरणें सीधे आपके शरीर तक पहुंचती हैं. इन किरणों में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जिससे सर्दी-खांसी की समस्या में आराम मिलता है.
  • पतंगबाजी करते वक्त जब आप सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं तो विटामिन D का उत्पादन होता है, जो हमारी हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरूरी है.
  • पतंगबाजी एक बेहतरीन दिमाग और शरीर के मेल का व्यायाम वाला खेल होता है. लोग अपनी निगाह उड़ती हुई पतंग पर टिकाए रखते हैं, जिससे देखने की क्षमता में सुधार होता है.
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भगवान राम ने उड़ाई थीं पतंग

मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान राम ने मकर संक्रांति के दिन अपने भाइयों और हनुमान के साथ पतंग उड़ाई थीं. तब से मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हुआ. इस दिन स्नान, पूजा और दान-पुण्य का बेहद महत्व है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है. इस नक्षत्र को शुभ माना जाता है. साथ ही ब्रह्म योग और आनंदादि योग बन रहा है, जो फलदायी माना जाता है.

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