Makar Sankranti: मकर संक्रांति के दिन बिहार और उत्तर प्रदेश में दही-चूड़ा खाने का विशेष महत्व है. यह व्यंजन सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन दही-चूड़ा खाने से घर में खुशहाली आती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है. नालंदा डेयरी ने आगामी मकर संक्रांति उत्सव के लिए बड़ी तैयारियों की घोषणा की है.

उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए 5 लाख लीटर दूध और 50 टन दही की व्यवस्था की गई है. इस वर्ष मकर संक्रांति मेले में एक विशेष आकर्षण होगा – दही खाने की स्पर्धा राजगीर में 14 जनवरी को होने वाली है. इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को 3 मिनट में जितना अधिक दही खाने की चुनौती दी जाएगी. प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे.

पंजीयन ऐसे होगा

जिला प्रशासन द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए पंजीकरण ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर किया जाएगा. इच्छुक प्रतिभागी 13 जनवरी तक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक प्रतियोगिता के लिए पंजीकरण करा सकते हैं.

यह कार्यक्रम न केवल स्थानीय परंपराओं को बढ़ावा देगा बल्कि क्षेत्र में डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग को भी प्रदर्शित करेगा. नालंदा डेयरी की यह पहल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

मकर संक्रांति पर दही और चूड़ा क्यों खाया जाता है? (Makar Sankranti)

ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति पर दही और चूड़ा खाने से सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है. मकर संक्रांति पर दही और चूड़ा खाना शुभ माना जाता है क्योंकि इसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. दही के टुकड़े खाने में स्वादिष्ट होने के अलावा और भी कई तरह से फायदेमंद होते हैं

आप इसे कुछ ही मिनटों में तैयार कर सकते हैं. दही चूड़े में आप चीनी, गुड़ या पिसी चीनी का उपयोग कर सकते हैं. कुछ लोग स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें बारीक कटे फल और सूखे मेवे भी मिलाते हैं.