मद्रास हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जज साहब वकील पर आग बबूला हो गए। मामला वकील द्वारा जज पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने का है। सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई जहां जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने कहा है कि जजों के फैसलों की आलोचना अपनी जगह है, लेकिन इस तरह का इल्जाम बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इससे पहले कोर्ट ने वंचिनाथन को उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जजों के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर समन जारी किया था। कई वीडियो और इंटरव्यूज में वकील ने कथित तौर पर जस्टिस स्वामीनाथन पर फैसले देने में सांप्रदायिक और जातिगत पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का आरोप लगाया था।
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जस्टिस स्वामीनाथन ने वंचिनाथन नाम के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिशें ठीक नहीं। जस्टिस स्वामीनाथन और जस्टिस के. राजशेखर की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “आप एक कॉमेडी पीस हैं। मुझे नहीं पता कि आपको क्रांतिकारी कौन कहता है। आप सब कॉमेडी पीस हैं।”
जस्टिस स्वामीनाथन ने आगे कहा कि जजों के फैसलों की आलोचना कर सकते हैं और इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जाति के आधार पर पक्षपात का आरोप सीमा को लांघना है। उन्होंने कहा, “वंचिनाथन जी, मैं मेरे फैसलों की कठोर आलोचना करने के आपके अधिकार का पूरी तरह सम्मान करता हूं। लेकिन जब आप इस तरह का आरोप लगाते हैं, तो ये ठीक नहीं है।”
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CJI गवई के पास पहुंचा मामला
कोर्ट ने इस दौरान वंचिनाथन के एक इंटरव्यू का भी हवाला दिया, जिसमें उसने कथित तौर पर दावा किया था कि जज ने एक दलित वकील के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, वहीं एक दूसरे वकील केअच्छा व्यवहार किया गया क्योंकि वह ब्राह्मण था। कोर्ट ने इस तरह के आरोपों को निराधार बताते हुए चिंता जताई। जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा, “चार साल से आप मुझे बदनाम कर रहे हैं। मैंने आपके कुछ नहीं कहा। हम नियम के मुताबिक चलते हैं। लेकिन हम बेवकूफ नहीं हैं। हम इस मामले को चीफ जस्टिस के पास ले कर जाएंगे। हम डरेंगे या झुकेंगे नहीं। न्यायिक स्वतंत्रता सबसे बड़ी है।” इस बीच मद्रास उच्च न्यायालय के आठ रिटायर्ड जजों ने देश के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
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