पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में मलेरिया, मौत, मौत और मौत से स्वास्थ्य अमला में हड़कंप मचा हुआ है. गांव में मलेरिया काल बनकर लोगों की निगल रहा है. एक बाद एक अब तक 3 छात्रों को मौत के मुंह में धकेल दिया है. वहीं स्वास्थ्य अमला भी लगातार फील्ड में है. शिविर लगाकार लोगों को दवाईयां मुहैया करा रहा है, लेकिन सवाल ये है कि 3 मौतों के बाद ही स्वास्थ्य अमला की नींद क्यों खुली ?. उन तीन मासूमों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता था, लेकिन स्वास्थ्य सिस्टम ही बीमार पड़ा है. वहीं मैनपुर की बात करें, तो मलेरिया की गिरफ्त में है. हाई रिस्क जोन में है.

मॉनिटरिंग कर रहे कलेक्टर आकाश छिकारा

दरअसल, जिले में बीते 15 दिनो में मलेरिया से एक ही उम्र के तीन छात्रों की मौत मलेरिया की वजह से होने के बाद प्रशासन मलेरिया से निपटने एक्शन मोड पर आ गया है. कलेक्टर आकाश छिकारा खुद अब इसकी सीधी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. पिछले तीन दिनों में कई दौर के बैठक के बाद मलेरिया रोधी अभियान को सीधी प्रभावित इलाके लागू करने कई अहम बदलाव किया गया है. इस बीच जरंडिह में मलेरिया पीड़ित 7 लोगों का उपचार कर उन्हें बोट के जरिए उनके घरों तक छोड़ने की सुखद खबर भी निकल कर आई है. उन्हें दवा के डोज कंपलीट कराने स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है.

इनकी हो गई मलेरिया से मौत

बता दें कि बीते 19 जुलाई को मैनपुर ब्लॉक के छोटे गोबरा निवासी 12 वर्षीय योगिता, 21 जुलाई को 11 वर्षीय डिगेश्वर के अलावा गरियाबंद ब्लॉक के जरंडीह में 8 वर्षीय कौशील्या की मौत मलेरिया से हो गई थी.

क्या बोले CMHO ?

मामले में सीएमएचओ के सी उराव ने बताया की नियंत्रण के लिए हम प्रयास कर रहे हैं. कलेक्टर के मार्गदर्शन में काम जारी है. जिला मलेरिया अधिकारी को भी बदला जा रहा है. जल्द ही सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे. हमारी पूरी टीम काम कर रही है. लोगों को भी सावधानी बरत कर जागरूकता का परिचय देना होगा.

हाई रिस्क जोन में पहुंचा मैनपुर

जंगलों में घरों के बसाहट व जागरूकता की कमी के कारण मैनपुर ब्लॉक में एक बार फिर 2014 की स्थिति निर्मित हो गई. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 में मैनपुर ब्लॉक में 261 पॉजिटिव पूरे साल में पाए गए, लेकिन इस साल आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग को सकते में ला दिया. 1 जनवरी से 30 जून तक महज 61 पॉजिटिव थे.

जांच हुई तो यह आंकड़ा बढ़ सकता है

जून में कई प्रभावित इलाकों में मलेरिया रोधी अभियान भी चलाया गया, लेकिन जुलाई के अंतिम सप्ताह में हुई दो बच्चे की मौत के बाद जब विभाग ने गोबरा, कूलहाड़ीघाट जैसे आदिवासी बाहुल्य वन ग्राम इलाके से मलेरिया की जांच शुरू किया तो जुलाई के अंतिम सप्ताह में ही मलेरिया के 254 मामले सामने आ गए. प्रशासन अलर्ट होने के बाद अब जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है. प्रभावित इलाके में जांच हुई तो यह आंकड़ा बढ़ सकता है.

मलेरिया से लड़ने बनी रणनीति

पिछले दो दिनों में कलेक्टर आकाश छिकारा स्वास्थ्य विभाग की लगातार बैठके ले रहे हैं. जिले व ब्लॉक के अफसरों के अलावा स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मियो से भी सीधी बात कर रहे हैं. पिछले दो दिनो में यह रणनीति बनाई गई है.

  1. जून तक चलाए जाने वाले मलेरिया रोधी अभियान अब अगस्त में भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता डोर टू डोर जाएंगे.
  2. पुराने गढ्ढे, बर्तन या ऐसा समान जिसमे पानी एकत्र हो रहा हो उसे हटाने, पालतू जानवरो के मल मूत्र का प्रबंधन, प्रतिदिन घरों में धुंवा करवाने के अलवा मलेरिया मच्छर के लारवा की पहचान व नष्ट करने के तरीके बताए जाएंगे.
  3. साप्ताहिक के बजाए प्रतिदिन मलेरिया अभियान की रिपोर्टिंग बीएमओ को स्वास्थ्य कार्यकर्ता देंगे. किसी में पॉजिटिव लक्षण दिखे तो उन्हे तत्काल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराना होगा.
  4. किट जांच तक ही सीमित नहीं रहेगा अभियान. साथ साथ स्लाइड भी बनाएंगे स्वास्थ्य अमला. खून चढ़ाने की पर्याप्त व्यवस्था गरियाबंद के अलावा देवभोग अस्पताल में भी होगी.
  5. मॉनिटरिंग की जवाबदारी के लिए अब दूसरे विभाग को भी जवाबदारी दे कर काम बाटे जाएंगे, ताकि समस्या से निपटा जा सके.

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