Malegaon Bomb Blast Case: मालेगांव बम ब्लास्ट केस में एनआईए (NIA) की विशेष अदालत ने 17 साल बाद 31 जुलाई 2025 को बड़ा फैसला देते हुए मुख्य आरोपी बीजेपी नेता और पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया। वहीं मामले में NIA कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए महाराष्ट्र एटीएस (ATS) अधिकारी शेखर बागड़े के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। ATS अधिकारी शेखर बागड़े पर सबूत गढ़ने के आरोप है। NIA की चार्जशीट मेंआरोप सामने आया कि बागड़े ने जानबूझकर एक आरोपी के घर में RDX के अंश रखे थे।

अदालत ने आदेश दिया कि शेखर बागड़े की संदिग्ध हरकत के साथ-साथ एक अन्य गंभीर मुद्दे की भी जांच की जाए। कोर्ट ने पाया कि कुछ मेडिकल प्रमाणपत्र, जो कथित पीड़ितों की चोटों को दिखाते थे, वे एटीएस अधिकारियों के कहने पर गैर-मान्यता प्राप्त डॉक्टरों द्वारा जारी किए गए थे। ऐसे प्रमाणपत्रों को अदालत ने स्वीकार करने से मना कर दिया।

बता दें कि NIA ने 2011 में इस केस की जांच ATS से अपने हाथ में ली थी। अपनी जांच के बाद NIA ने एक चार्जशीट दायर की, जिसमें उसने भोपाल की पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को क्लीन चिट दे दी थी। इसी चार्जशीट में दावा किया गया था कि एटीएस अधिकारी शेखर बागड़े ने मालेगांव ब्लास्ट में एक आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के घर में जबरदस्ती घुसकर RDX के अंश रखे थे। चतुर्वेदी एक सैन्य मुखबिर थे और नासिक के देवलाली कैंट इलाके में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (रिटायर) के पास रहते थे। पुरोहित को भी इस मामले में RDX की आपूर्ति और बम बनाने के अलावा साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने माना कि एनआईए ने अपनी जांच में सेना के एक मेजर और एक सूबेदार की गवाही का हवाला दिया था। इन दोनों ने बताया कि चतुर्वेदी जब घर पर नहीं थे, तो बागड़े चोरी-छिपे उनके घर में घुसे और वहां आरडीएक्स के अंश छिपा दिए थे। मेजर और सूबेदार ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी को यह भी बताया कि बागड़े ने उनसे कहा था कि वे इस बारे में किसी से शिकायत न करें, लेकिन दो दिन बाद एटीएस की टीम ने उस घर पर छापा मारा और रुई के फाहे से मालेगांव ब्लास्ट में इस्तेमाल RDX जैसा पदार्थ बरामद किया था। कोर्ट ने कहा कि बागड़े का यह कृत्य संदेह पैदा करता है। पूरा मामला ‘फैक्ट प्लांटिंग’ यानी जानबूझकर सबूत गढ़ने की संभावना की ओर इशारा करता है।

फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पर भी सवाल

अदालत ने आदेश दिया कि शेखर बागड़े की संदिग्ध हरकत के साथ-साथ एक अन्य गंभीर मुद्दे की भी जांच की जाए। कोर्ट ने पाया कि कुछ मेडिकल प्रमाणपत्र, जो कथित पीड़ितों की चोटों को दिखाते थे, वे एटीएस अधिकारियों के कहने पर गैर-मान्यता प्राप्त डॉक्टरों द्वारा जारी किए गए थे। ऐसे प्रमाणपत्रों को अदालत ने स्वीकार करने से मना कर दिया। इसके अलावा अदालत को यह भी पता चला कि कुछ मेडिकल प्रमाणपत्रों में जानबूझकर हेराफेरी की गई थी। कोर्ट ने फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्रों की जांच के भी निर्देश दिए हैं।

मालेगांव केस की टाइमलाइन

  • 29 सितंबर 2008: मालेगांव में बम ब्लास्ट, 6 की मौत, 100 से जयादा घायल
  • अक्टूबर 2008: महाराष्ट्र ATS ने जांच शुरू की, साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित सहित कई लोग गिरफ्तार
  • 2009: जांच NIA को सौंप दी गई
  • 2011: एनआईए की तरफ से अपनी पहली चार्जशीट दायर की गई.
  • 2016: एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा और 6 अन्य के खिलाफ मकोका हटाकर नई चार्जशीट दायर की, जिसमें सबूतों के अभाव का हवाला दिया
  • 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को जमानत दी
  • 2017: कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को भी जमानत दी
  • 2018: मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने मामले में चार्ज तय किए
  • 2019: साध्वी प्रज्ञा लोकसभा चुनाव जीतीं, भोपाल से सांसद बनीं
  • 2023-2024: कई गवाहों ने अपने बयान पलटे, एटीएस पर दबाव का आरोप लगाया
  • 31 जुलाई 2025: जस्टिस ए.के. लाहोटी द्वारा फैसला सुनाए जाने की उम्मीद

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