Congress president election : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तमिलनाडु में कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पसंदीदा उम्मीदवार के रूप में उभर रहे हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शशि थरूर द्वारा बुलाई गई बैठक को खारिज कर दिया गया है. तमिलनाडु के कांग्रेस निर्वाचक मंडल के 710 मतदाताओं में से कुछ ने गुरुवार को राज्य कांग्रेस मुख्यालय सत्यमूर्ति भवन में थरूर द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लिया. जबकि खड़गे ने अभी तक तमिलनाडु में अपनी यात्रा शुरू नहीं की है, लेकिन प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि हवा किस तरफ बह रही है.

खड़गे, जिनके पास 6 दशकों से ज्यादा का जमीनी राजनीतिक अनुभव है, पार्टी के एक सम्मानित दलित चेहरा हैं. गांधी परिवार की ओर से कांग्रेस के अध्यक्ष चुनाव में किसी भी उम्मीदवार का खुलकर समर्थन नहीं किया है. लेकिन सूत्रों की मानें तो परिवार खड़गे का समर्थन कर रहा था. शशि थरूर के सत्यमूर्ति भवन पहुंचने पर पार्टी के लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति इस बात का संकेत है कि खड़गे उनके पसंदीदा हैं.

थरूर की ये कमजोरी बन सकती है हार का कारण

कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता, जो एक पूर्व सांसद थे, उन्होंने कहा कि आम पार्टी कार्यकर्ता थरूर का समर्थन नहीं करेंगे. इसके पीछे की वजह उनका आम कार्यकर्ताओं के बीच कम जाना है. पार्टी की पसंद वही लोग है, जिनकी पहचान सभी वर्ग के लोगों के बीच हो. शिक्षित मध्यम वर्ग के युवा थरूर को अपना समर्थन देने के लिए सत्यमूर्ति भवन पहुंचे थे, जो कांग्रेस पार्टी की चुनावी सूची में नहीं हैं. उनका समर्थन तिरुवनंतपुरम के सांसद के लिए वोट हासिल नहीं कर सकता है.

खड़गे कई मायनों में आगे

कांग्रेस पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता, जो पार्टी के राज्य पदाधिकारी थे, उन्होंने कहा कि थरूर बाहरी दुनिया के सामने पेश किए जाने के लिए अच्छे हो सकते हैं. वे विनम्र हैं, अच्छे व्यवहार वाले हैं, अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं और उनके वैश्विक संपर्क हैं. लेकिन अहम मुद्दा यह है कि इससे पार्टी को क्या फायदा होता है. लोग किसी ऐसे व्यक्ति को पसंद करते हैं जो जमीनी स्तर और कार्यकर्ताओं से जुड़ा हो. कार्यकर्ता कूटनीति की भाषा नहीं समझते हैं, वे चाहते हैं कि कोई ऐसा व्यक्ति हो जो उन्हें और उनकी भावनाओं को जानता हो और खड़गे उसमें मीलों आगे हैं. कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने बताया कि यह आश्चर्य की बात है कि अगर थरूर तमिलनाडु से AICC अध्यक्ष चुनाव के लिए कुल 710 वोटों में से एक बड़ा वोट शेयर हासिल कर सकते हैं.

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