रायपुर। राज्य सरकार ने अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं को आदिवासियों और वनवासियों तक पहुंचाने के लिए उन्हीं की बोली में सहज और सरल ढंग से पहुंचाने की अनूठी पहल की है। इसके अन्तर्गत कला जत्था दल हाट-बाजारों में जाकर राज्य शासन की प्राथमिकता वाली मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना, नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना को स्थानीय बोली में लोगों को नाट्य और नृत्य शैली में सहज ढंग से बता रहे हैं।
राज्य सरकार के जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रयोग के तौर पर दो महीने पहले बस्तर और दंतेवाड़ा जिले के लगभग 90 गांवों में स्थानीय कला जत्थों के माध्यम से हल्बी और गोंड़ी में राज्य शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया था, जिसके सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद अब बस्तर संभाग के सभी सातों जिलों में स्थानीय कलाजत्थों के माध्यम से स्थानीय बोलियों हल्बी, गोण्डी और भतरी में सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
कला जत्थों द्वारा योजनाओं के प्रचार-प्रसार में स्थानीय लोगों को जोड़ने के लिए स्थानीय संस्कृति, परम्परा, नृत्य और नाट्य शैली में कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। स्थानीय संस्कृति, नाट्य, प्रहसन के बीच में जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी रोचक ढंग से लोगों को दी जा रही है। इसके अन्तर्गत बस्तर संभाग के छह जिलों बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, कोण्डागांव और नारायणपुर जिले के हाट-बाजारों में कला जत्थों द्वारा हल्बी और गोंण्डी में तथा कांकेर जिले में छत्तीसगढ़ी में योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।