कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाला पंचायत चुनाव इस कदर हाई प्रोफाइल हो चुका है, कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद मैदान में उतरकर ग्रामीणों को लुभाने के लिए कहीं चाय की दुकान में चाय, तो कहीं मोमोज बना रही हैं. इसके पीछे बड़ी वजह कांग्रेस और सीपीआई (एम) के साथ आने के साथ-साथ भाजपा के पूरी दमखम से ताल ठोकना है.

पंचायत चुनाव के लिए कूच बिहार से प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी का लक्ष्य अब ‘पंचायतों को नियंत्रित करना है ताकि कोई पैसा न चुरा सके. उन्होंने कहा कि हमने पहले पंचायत चुनावों पर ध्यान नहीं दिया था, लेकिन इस बार आपने देखा, चुनावों से पहले, हमने आपकी राय ली, अभिषेक (उनके भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव) ने पिछले दो महीनों से रैलियां की.

कमीशन के लिए मांग रही माफी

ममता बनर्जी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी सरकारी योजना के लिए पैसा न दें. अगर किसी ने आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, तो मैं आपसे माफी मांगती हूं, अगर कोई आपके साथ दुर्व्यवहार करता है, तो उसे थप्पड़ मारें, मैं आपको अनुमति देती हूं, उन्होंने सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से कमीशन वाले टीएमसी नेताओं की ओर से माफी मांगी.

मतदाताओं ने बनाई टीएमसी से दूरी

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर चौधरी आरोप लगाते हैं कि टीएमसी ने लोगों का पैसा चुराया है और अब माफी मांग रही है. वहीं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं कि ममता बनर्जी पंचायत चुनावों के लिए इसलिए प्रचार कर रही हैं, क्योंकि उन्हें एहसास है कि पश्चिम बंगाल में मतदाताओं ने टीएमसी से दूरी बनाना शुरू कर दिया है.

भाजपा की ताकत में हुआ इजाफा

बता दें कि 2018 में पिछले पंचायत चुनाव के समय राज्य में भाजपा के केवल दो सांसद और तीन विधायक थे. लेकिन तब से वह तस्वीर काफी बदल गई है. अब पश्चिम बंगाल में भाजपा के 17 सांसद और 69 विधायक हैं. लेकिन पंचायत चुनाव को लेकर ममता बनर्जी पूरे फार्म में हैं.

10 रैलियां करेंगी ममता बनर्जी

टीएमसी सूत्रों के मुताबिक, ममता के पंचायत चुनावों के लिए कम से कम 10 रैलियों को संबोधित करने की संभावना है, हालांकि विवरण अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है। उनके भतीजे अभिषेक मंगलवार से नादिया जिले में अपनी सार्वजनिक बैठकें फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं.